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शनिदेव की पूजा के नियम: जानें कैसे करें सही तरीके से

इस लेख में शनिदेव की पूजा के नियमों और विधियों के बारे में जानकारी दी गई है। जानें कि कैसे शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है और किन गलतियों से बचना चाहिए। सही तरीके से पूजा करने से आप शनिदेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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शनिदेव की पूजा के नियम: जानें कैसे करें सही तरीके से

शनिदेव की पूजा के नियम

शनिदेव की पूजा के नियम: शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। वे किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करते और साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा के दौरान इंसान को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। इस समय कई लोग शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए मंदिर जाते हैं, लेकिन अनजाने में कुछ गलतियाँ कर बैठते हैं, जिससे शुभ फल की जगह अशुभ फल मिल सकता है। इसलिए शनिदेव की पूजा में विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है।


हाथ जोड़ने का सही तरीका

क्यों नहीं जोड़ते हाथ शनिदेव के सामने?


शनिदेव को न्यायालय के न्यायाधीश के समान माना जाता है, इसलिए उनके सामने हाथ जोड़कर प्रणाम करना उचित नहीं होता। सही तरीका यह है कि दोनों हाथों को कमर के पीछे ले जाकर, सिर झुकाकर प्रणाम करें।


यह भी ध्यान रखें कि आप मूर्ति के सामने सीधे खड़े न हों, बल्कि दाएं या बाएं खड़े होकर प्रणाम करें। हाथ जोड़ने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए इस भूल से बचें।


पूजा के दौरान खड़े होने का कारण

शनिदेव के सामने न खड़े होने का कारण


शास्त्रों के अनुसार, शनि की दृष्टि को क्रूर माना जाता है। यदि उनकी सीधी दृष्टि आप पर पड़ जाए, तो जीवन में समस्याएँ बढ़ सकती हैं। इसलिए पूजा हमेशा साइड में खड़े होकर करनी चाहिए, ना कि शनिदेव की मूर्ति के बिल्कुल सामने।


इन गलतियों से बचें

इन गलतियों से बचें—नहीं तो नाराज हो जाएंगे शनिदेव


शनिदेव गरीबों का अपमान सहन नहीं करते। यदि कोई गरीबों को तंग करता है या उनका अपमान करता है, तो शनि उसे कभी माफ नहीं करते। इसके अलावा, बेईमानी करने वालों को शनिदेव कठोर दंड देते हैं। यदि आप उनकी कृपा चाहते हैं, तो ईमानदार रहें।


शनिदेव को प्रसन्न करने की विधि

ईमानदार रहें


अपने वचनों पर अडिग रहें और वही बोलें, जिसे आप पूरा कर सकें। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद पूजा करनी चाहिए। काले या नीले कपड़े पहनें और लकड़ी की चौकी पर काला या नीला कपड़ा बिछाकर मूर्ति या यंत्र स्थापित करें। मूर्ति का मुख पश्चिम दिशा में रखें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।


पूजा में चढ़ाने वाली सामग्री

पूजा में चढ़ाएं:


सरसों का तेल, काले तिल, नीले/काले फूल, शमी पत्र, काला उड़द या खिचड़ी का भोग। ध्यान रखें—लाल फूल, लाल चंदन और लाल वस्त्र कभी न चढ़ाएं। इसके बाद ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। शनिचालीसा या दशरथकृत शनिस्तोत्र का पाठ भी करें।


पूजा के बाद काले तिल, तेल, काला कपड़ा, लोहा या उड़द का दान करना शुभ माना जाता है। पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और साथ ही हनुमान जी की भी पूजा करें, क्योंकि हनुमान जी शनि के प्रभाव को कम करते हैं।