शारदीय नवरात्रि में अखंड ज्योति का महत्व और नियम

शारदीय नवरात्रि में अखंड ज्योति का महत्व
शारदीय नवरात्रि में अखंड ज्योति: मां दुर्गा की पूजा का यह पर्व जीवन में ऊर्जा और प्रकाश लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह नौ दिवसीय अनुष्ठान भक्तों के लिए ज्ञान, भक्ति और समृद्धि की प्राप्ति का माध्यम बनता है। शास्त्रों में नवरात्रि के नौ दिनों की विशेषता का उल्लेख किया गया है, जिसमें कहा गया है कि इस दौरान मां दुर्गा धरती पर निवास करती हैं और वातावरण में अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
इस पर्व के दौरान भक्त अपने घरों की सफाई करते हैं और मां दुर्गा के स्वागत के लिए अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं। पहले दिन घटस्थापना के समय अखंड ज्योति जलाने का विशेष महत्व है। यह ज्योति नौ दिनों तक जलती रहती है, जो ज्ञान, शक्ति और मां दुर्गा की कृपा का प्रतीक मानी जाती है।
अखंड ज्योति जलाने के नियम
अखंड ज्योति जलाने के लिए मां दुर्गा के चित्र के सामने पीतल या मिट्टी के दीपक में घी या तिल के तेल का उपयोग करते हुए रुई की बत्ती बनाकर मंत्र का जाप करते हुए दीप प्रज्वलित करना चाहिए।
दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति जनार्दन: दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नमोस्तुते।।
इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। दीपक को जौ, चावल या गेहूं पर रखा जाना चाहिए। घी का दीपक मां दुर्गा के दाहिनी ओर और तेल का दीपक बाईं ओर रखना चाहिए, और इसे नौ दिनों तक जलता रहने देना चाहिए। दीपक को खुद बुझने देना चाहिए।
दीपक को अकेला न छोड़ें: ज्योति को कभी भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए और घर में ताला नहीं लगाना चाहिए।
दीपक की बत्ती बदलना: बत्ती को बार-बार नहीं बदलना चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो एक छोटे दीपक में लौ जलाकर उसे अलग रखें।