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शिव पंचाक्षर स्तोत्र: अर्थ, लाभ और पाठ विधि

शिव पंचाक्षर स्तोत्र एक महत्वपूर्ण मंत्र है, जो सावन के महीने में शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस लेख में हम इस स्तोत्र के अर्थ, लाभ और पाठ विधि के बारे में जानेंगे। 'ॐ नमः शिवाय' के पांच अक्षर न केवल शब्द हैं, बल्कि ये भक्ति और शक्ति का प्रतीक भी हैं। जानें कि कैसे इस स्तोत्र का पाठ आपके मन को शांति और आत्मा को पवित्रता प्रदान कर सकता है।
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शिव पंचाक्षर स्तोत्र: अर्थ, लाभ और पाठ विधि

शिव पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व

शिव पंचाक्षर स्तोत्र एक पवित्र मंत्र है, जो सावन के महीने में हर शिव भक्त के हृदय में गूंजता है। 'ॐ नमः शिवाय' के पांच अक्षर केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि ये भक्ति, शांति और शक्ति का प्रतीक हैं। सावन 2025 में, जब भगवान शिव की जय-जयकार हो रही है, इस स्तोत्र का पाठ आपके मन को शांति और आत्मा को पवित्रता प्रदान कर सकता है। यह स्तोत्र भगवान शिव के पांच गुणों का वर्णन करता है और हर अक्षर में एक गहरी सीख छिपी होती है। आइए, इस स्तोत्र के अर्थ, महत्व और लाभ को समझें और इसे अपने प्रियजनों के साथ साझा करें।


सावन और शिव की भक्ति

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का समय होता है। इस दौरान भक्त मंदिरों में जल चढ़ाते हैं और शिव मंत्रों का जाप करते हैं। शिव पंचाक्षर स्तोत्र इस भक्ति को और भी गहरा बनाता है। यह स्तोत्र 'ॐ नमः शिवाय' के पांच अक्षरों की महिमा का बखान करता है, जो जीवन को नई दिशा प्रदान करता है।


शिव पंचाक्षर स्तोत्र के बोल

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय।
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय।
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय।
वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै वकाराय नमः शिवाय।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय।


शिव पंचाक्षर स्तोत्र का अर्थ

यह स्तोत्र भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन करता है। जैसे, 'नागेन्द्रहाराय' का अर्थ है नाग की माला पहनने वाले, और 'त्रिलोचनाय' का अर्थ है तीन आंखों वाले। हर अक्षर में भगवान शिव की विशेषताएँ और गुण छिपे हुए हैं।


पाठ के लाभ

शिव पंचाक्षर स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मन को गहरी शांति मिलती है। यह तनाव और चिंता को कम करता है और ध्यान को बढ़ाता है। सावन के महीने में इस स्तोत्र का पाठ विशेष फलदायी होता है।


कैसे करें पाठ?

इस स्तोत्र का पाठ सुबह स्नान के बाद करना चाहिए। शुद्ध मन से शिव मंदिर में या घर पर शिवलिंग के सामने बैठें और माला से 108 बार 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें। स्तोत्र को धीरे-धीरे पढ़ें और हर अक्षर का अर्थ समझें।