शुक्र ग्रह के दोषों से मुक्ति के लिए प्रमुख मंदिरों की जानकारी

शुक्र ग्रह का महत्व
नई दिल्ली: वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को प्रेम, विलासिता और रिश्तों का प्रतीक माना जाता है। यह ग्रह भौतिक सुख, धन, आभूषण और कामुक संतोष का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष में इसे स्त्री ग्रह के रूप में देखा जाता है, क्योंकि इसमें स्त्रीत्व का गुण अधिक होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शुक्र को राक्षसों का गुरु माना जाता है, और यह धन और खुशी का शुभ ग्रह भी है।
शुक्र देव की पूजा का महत्व
शुक्र देव को सौंदर्य और आकर्षण का देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यदि किसी की कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर है, तो यह जीवन में संघर्ष उत्पन्न कर सकता है। ज्योतिषियों के अनुसार, शुक्र वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं और मीन राशि में उच्च के होते हैं। मीन राशि के जातकों पर शुक्र की विशेष कृपा होती है।
शुक्रेश्वर महादेव मंदिर
स्कंद पुराण, शिव पुराण और काशी खंड में एक शिवलिंग का उल्लेख है, जिसकी पूजा से शुक्र के दोषों से मुक्ति मिलती है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित है। यहां का जल ग्रह दोषों का निवारण करता है।
असम का शुक्रेश्वर मंदिर
असम में स्थित शुक्रेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह गुवाहाटी के पानबाजार इलाके में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित है। यहां भक्त नियमित रूप से दर्शन करने आते हैं।
कचेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र
कोपरगांव में स्थित कचेश्वर मंदिर दैत्य गुरु शुक्राचार्य को समर्पित है। यहां भक्त जलाभिषेक कर के भोलेनाथ और शुक्राचार्य की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
कंजानूर शुक्रन मंदिर, तमिलनाडु
कंजानूर में स्थित शुक्रन मंदिर, जिसे अग्निश्वर मंदिर भी कहा जाता है, नवग्रह मंदिरों में से एक है। यहां भक्त सफेद कपड़े और फूल चढ़ाकर शुक्र ग्रह के दोषों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।