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श्रावण पूर्णिमा: महत्व, पूजा विधि और तिथि

श्रावण पूर्णिमा, जो हिंदू नववर्ष की पांचवीं पूर्णिमा है, का विशेष महत्व है। यह दिन श्रावण माह का अंतिम दिन होता है और इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। भगवान शिव के भक्त इस दिन विशेष पूजा करते हैं। जानें इस दिन की तिथि, पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण पर्वों के बारे में।
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श्रावण पूर्णिमा: महत्व, पूजा विधि और तिथि

श्रावण पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का एक विशेष स्थान है। श्रावण पूर्णिमा को हिंदू नववर्ष की पांचवीं पूर्णिमा माना जाता है। यह दिन श्रावण माह का अंतिम दिन होता है, जिससे यह महीना समाप्त होता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य का महत्व अत्यधिक होता है। भगवान शिव के लिए यह महीना विशेष प्रिय है, इसलिए यह तिथि शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्णता में होता है, जिससे भगवान शिव और चंद्र देव की पूजा से मानसिक शांति प्राप्त होती है।


तिथि और मुहूर्त

इस वर्ष, पूर्णिमा तिथि 08 अगस्त 2025 को सुबह 04:42 बजे से शुरू होगी और 09 अगस्त 2025 को सुबह 03:54 बजे समाप्त होगी। इस दिन भक्त भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। श्रावण पूर्णिमा पर कई पर्व मनाए जाते हैं, जिसमें रक्षाबंधन, गायत्री जयंती और श्रावण पूर्णिमा शामिल हैं।


पूजा विधि

श्रावण पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि पवित्र नदी में स्नान संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाना चाहिए। सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें। इसके बाद 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते हुए शिव जी को साफ जल अर्पित करें। महादेव को फल, बेलपत्र, शमी के फूल और चंदन चढ़ाएं। फिर शुद्ध देसी घी का दीपक जलाकर सुख-समृद्धि की कामना करें।


इस दिन भगवान शिव के शक्तिशाली मंत्रों का स्मरण करें और श्रावण पूर्णिमा की कथा सुनें। पूजा के बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं। रात में चंद्र देव की आराधना करें और एक लोटे में कच्चा दूध डालकर उन्हें अर्घ्य दें।