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श्रावण मास: भगवान शिव की उपासना का पवित्र समय

श्रावण मास, जो भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है, हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने में विशेष व्रत और पर्व मनाए जाते हैं, जो व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान में सहायक होते हैं। जानें श्रावण मास का महत्व, इसके विशेष व्रत और पूजा विधियों के बारे में।
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श्रावण मास: भगवान शिव की उपासना का पवित्र समय

श्रावण मास का महत्व

हिन्दू धर्म में श्रावण मास को आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के ज्योतिष विभाग के सहायक प्रोफेसर, ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन शर्मा के अनुसार, श्रावण मास भगवान शिव को बहुत प्रिय है। उन्होंने कहा है कि-




द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभः ।


श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ॥


श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृतः।


यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यतः ॥




इसका अर्थ है कि श्रावण मास अन्य मासों में सबसे प्रिय है। इसका महत्व सुनने योग्य है, इसलिए इसे श्रावण कहा जाता है। इस महीने में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है, जिससे इसका नाम श्रावण पड़ा। श्रावण माहात्म्य के श्रवण से सिद्धि प्राप्त होती है।


श्रावण मास में पूजा और व्रत

इस महीने में शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र आदि अर्पित करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और पापों का नाश होता है। सावन के सोमवार का व्रत रखने से गृहस्थ जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इस समय ध्यान, शिव पूजन, रुद्राभिषेक, शिव मंत्र 'ऊँ नमः शिवाय' या महामृत्युंजय मंत्र का जाप, और दान करने से आत्मिक शुद्धि होती है और पूर्व जन्मों के पाप भी समाप्त होते हैं। यह महीना व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।




डॉ. नवीन शर्मा ने बताया कि पंचांग के अनुसार श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 10 जुलाई की अर्धरात्रि 2 बजकर 07 मिनट पर प्रारंभ होगी। भारतीय ज्योतिष के अनुसार अधिकांश व्रत और पर्व सूर्योदय कालीन तिथि में मनाए जाते हैं, इसलिए श्रावण कृष्ण प्रतिपदा तिथि 11 जुलाई को होगी। श्रावण मास 11 जुलाई से शुरू होकर श्रावणी पूर्णिमा अर्थात् रक्षाबंधन 09 अगस्त तक चलेगा। भारत में श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस और श्रावण मास को संस्कृत मास के रूप में भी मनाया जाता है। इस बार श्रावण मास में 04 सोमवार आएंगे, जो 14, 21, 28 जुलाई और 04 अगस्त तक रहेंगे। सनातन धर्म में सोमवार भगवान शिव के लिए समर्पित है, इसलिए श्रावण मास के सोमवार का महत्व और भी बढ़ जाता है।


श्रावण मास के विशेष व्रत एवं पर्व

11 जुलाई, श्रावण मास का प्रारम्भ 


12 जुलाई, अशून्य शयन व्रत


14 जुलाई, प्रथम श्रावणी सोमवार /गणेश चतुर्थी व्रत


15 जुलाई, मंगला गौरी व्रत


16 जुलाई, श्रावण संक्रान्ति 


17 जुलाई, शीतला सप्तमी


21 जुलाई, द्वितीय सोमवार / कामिका एकादशी


22 जुलाई, भौम प्रदोष 


23 जुलाई, श्रावणी शिवरात्रि


24 जुलाई, श्रावणी अमावस्या 


28 जुलाई, तृतीय सोमवार /विनायक चतुर्थी 


29 जुलाई, नागपंचमी


30 जुलाई, कल्कि जयन्ती


31 जुलाई, गोस्वामी तुलसीदास जयन्ती/ शीतला सप्तमी


04 अगस्त, चतुर्थ सोमवार 


05 अगस्त, पवित्रा एकादशी 


06 अगस्त, प्रदोष व्रत


08 अगस्त, पूर्णिमा व्रत


09 अगस्त, श्रावणी पूर्णिमा/ रक्षाबन्धन (श्रावण का अन्तिम दिन)




- ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन शर्मा 


असिस्टेंट प्रोफेसर ज्योतिष 


महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल, हरियाणा