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श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत यात्रा का आयोजन

श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत यात्रा का आयोजन 350 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में किया गया। यह यात्रा हिंदू-सिख एकता का प्रतीक है और शहीदों की बलिदान गाथा को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य कर रही है। यात्रा का स्वागत हरियाणा गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों द्वारा किया गया। जानें इस यात्रा के महत्व और गुरु जी के बलिदान के बारे में।
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श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत यात्रा का आयोजन

शहीदों की गाथा का प्रचार


सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर साहिब, भाई दयाला जी, भाई सती दास जी और भाई मति दास जी की शहादत के 350 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक भव्य नगर कीर्तन यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा शनिवार रात को रानी तालाब स्थित गुरूद्वारा तेग बहादुर साहिब में पहुँची।


यात्रा का स्वागत

हरियाणा गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य सरदार करनैल सिंह निम्राबाद ने यात्रा का स्वागत किया। यात्रा ने रात का विश्राम गुरूद्वारे में किया और रविवार को लाखनामाजरा रोहतक के लिए प्रस्थान किया। इस अवसर पर गुरूद्वारा मैनेजर गुरविंदर सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। श्रद्धालुओं ने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेका और यात्रा के साथ चल रहे सम्मानित व्यक्तियों को सिरोपा पहनाया।


गुरूद्वारा तेग बहादुर साहिब में यात्रा

गुरूद्वारा मैनेजर गुरविंदर सिंह ने बताया कि 350 वर्ष पहले दिल्ली के चांदनी चौक में मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर गुरु तेग बहादुर, भाई दयाला, भाई सती दास और भाई मति दास को इस्लाम स्वीकार न करने के कारण शहीद कर दिया गया था। इसी स्मृति में यह नगर कीर्तन यात्रा आनंदपुर साहिब से दिल्ली के चांदनी चौक तक निकाली जा रही है।


धर्म की रक्षा के लिए बलिदान

गुरुद्वारा प्रबंधक ने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए कई तरह के प्रलोभन दिए, लेकिन गुरु जी ने उनका डटकर सामना किया और धर्म की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।


हिंदू-सिख एकता का प्रतीक

सरदार करनैल सिंह निम्राबाद ने कहा कि यह यात्रा हिंदू और सिख एकता का प्रतीक है और शहीदों की बलिदान गाथा को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य कर रही है। गुरु तेग बहादुर साहिब का जीवन मानव अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रेरणा है।