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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025: भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जा रहा पर्व

16 अगस्त 2025 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रतीक है, जो प्रेम और करुणा का आदर्श स्वरूप हैं। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। मथुरा और वृंदावन में लाखों भक्त इस पर्व को उत्सव के रूप में मनाते हैं, जहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम और भोग का आयोजन होता है। जानें इस दिन की विशेषताएं और आयोजन के बारे में।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025: भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जा रहा पर्व

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व

Krishna Janmashtami 2025 LIVE: आज, 16 अगस्त 2025, शनिवार को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व पूरे देश में अपार श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रतीक है, जो प्रेम, करुणा और धर्म के आदर्श स्वरूप माने जाते हैं। श्रीकृष्ण, जिन्हें नंदलाल, माखनचोर और भगवद्गीता के उपदेशक के रूप में जाना जाता है, भक्तों के लिए आनंद, ज्ञान और मार्गदर्शन का स्रोत हैं। जन्माष्टमी का यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन में लीन होते हैं, और मंदिरों में भगवान के बाल स्वरूप की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। रात के बारह बजे, जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, मंदिरों में घंटियों, शंखनाद और भक्ति भजनों के साथ उत्सव अपने चरम पर पहुँचता है।


माखन-मिश्री का भोग, दही-हांडी के रोमांचक आयोजन और रासलीला जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम इस दिन को और भी आध्यात्मिक बनाते हैं। विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में, जहाँ श्रीकृष्ण की लीलाएं जीवंत हो उठती हैं, लाखों भक्त एकत्रित होकर इस पर्व को उत्सव के रूप में मनाते हैं। इस दिन मंदिरों में सुंदर झांकियां सजाई जाती हैं, और घरों में भक्त अपने लाडले कन्हैया को झूले पर सजाकर उनकी पूजा करते हैं।