श्रीमद् भागवत कथा: जीवन जीने की कला का संदेश

श्रीकृष्ण जन्म कथा का आयोजन
- श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन हुआ श्रीकृष्ण जन्म कथा, जमकर झूमे श्रद्धालु
(Bhiwani News) भिवानी। कुंगडिया मंदिर में आयोजित श्रीकृष्ण छठी पूजन महोत्सव के तहत संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वाचन आचार्य विनय मिश्रा ने किया। जैसे ही कृष्ण जन्म की कथा शुरू हुई, पूरा पांडाल 'जय हो नंद लाल की' के नारों से गूंज उठा। इस अवसर पर श्रद्धालु झूमते नजर आए। आचार्य ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
प्रभु की कृपा से जीवन में अच्छे और बुरे दिन आते हैं
श्रीकृष्ण का पालन-पोषण नंदबाबा के घर में हुआ था, इसलिए नंदगांव में जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। उन्होंने अत्याचारी कंस का वध कर पृथ्वी को अत्याचार से मुक्त किया और अपने माता-पिता को कारागार से छुड़वाया। आचार्य ने कहा कि जीवन में अच्छे और बुरे दिन प्रभु की कृपा से ही आते हैं। जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तब जेल के ताले टूट गए और पहरेदार सो गए। वासुदेव और देवकी बंधन मुक्त हो गए।
प्रभु भक्ति का महत्व
उन्होंने यह भी कहा कि कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं। इसलिए जीवन में प्रभु भक्ति आवश्यक है, क्योंकि यही जीवन का आधार है। विनय मिश्रा ने बताया कि कथा सुनने का लाभ कई जन्मों के पुण्य से मिलता है। परमात्मा ने जीवन दिया है, लेकिन जीवन जीने की कला सत्संग से प्राप्त होती है। इस अवसर पर सुशील शास्त्री, मुरारी शास्त्री, शशि शास्त्री, संजय शास्त्री, मोनू सहित कई लोग उपस्थित थे।