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संकष्टी चतुर्थी 2025: भगवान गणेश की कृपा से हर बाधा होगी दूर

संकष्टी चतुर्थी 2025 का पर्व 14 जून को मनाया जाएगा, जो भगवान गणेश की आराधना का विशेष दिन है। इस दिन की पूजा विधि, महत्व और मंत्रों के बारे में जानें। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और ब्रह्म योग का शुभ संयोग इस व्रत को और भी प्रभावशाली बनाता है। जानें कैसे गणेश जी की कृपा से जीवन की बाधाएं दूर की जा सकती हैं।
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संकष्टी चतुर्थी 2025: भगवान गणेश की कृपा से हर बाधा होगी दूर

संकष्टी चतुर्थी 2025: भगवान गणेश की आराधना का विशेष दिन

संकष्टी चतुर्थी 2025 का पवित्र पर्व 14 जून को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिन्हें विघ्नहर्ता और गौरीपुत्र के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की आराधना करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस बार संकष्टी चतुर्थी पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और ब्रह्म योग का शुभ संयोग बन रहा है, जो इस व्रत को और भी प्रभावशाली बनाता है। आइए, जानते हैं गणेश जी की पूजा की विधि, महत्व और मंत्र, जो आपके जीवन को नई दिशा देंगे।


गणपति पूजा की सरल और प्रभावी विधि

संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा विशेष विधि से की जाती है। वाराणसी के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित अमित शर्मा के अनुसार, पूजा से पहले मन को शांत करना आवश्यक है और संकल्प लेना चाहिए। सबसे पहले गणपति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, जल) से स्नान कराएं। इसके बाद गंगाजल से अभिषेक करें। गणेश जी के मस्तक पर देसी घी और सिंदूर लगाएं। फिर रोली, मौली, अक्षत, और इत्र अर्पित करें। पूजा में जनेऊ, पान, सुपारी, लौंग, और इलायची भी चढ़ाएं। गणपति को गेंदा या गुड़हल की माला और 3, 11 या 21 दूब अर्पित करें।


घी का दीपक जलाएं और मोदक, केला या हलवा का भोग लगाएं। गणेश चालीसा और संकट नाशक स्तोत्र का पाठ करें। यह विधि सरल होने के साथ-साथ गणपति को प्रसन्न करने में अत्यंत प्रभावी है। पूजा के बाद आरती करें और भोग वितरित करें।


संकष्टी चतुर्थी का महत्व और शुभ मुहूर्त

संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा भक्तों के लिए विशेष महत्व रखते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने गणेश जी को वरदान दिया था कि उनकी पूजा सबसे पहले होगी, जिससे भक्तों को किसी भी कार्य में बाधा नहीं आएगी। यह व्रत आर्थिक समस्याओं, स्वास्थ्य समस्याओं और मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक है। पंचांग के अनुसार, इस बार चतुर्थी तिथि 14 जून को दोपहर 3:46 बजे शुरू होगी और 15 जून को दोपहर 3:51 बजे समाप्त होगी। इस दौरान पूजा करने से गणपति की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और ब्रह्म योग इस दिन को और भी शुभ बनाते हैं।


गणपति को प्रसन्न करने के शक्तिशाली मंत्र

संकष्टी चतुर्थी पर कुछ विशेष मंत्रों का जाप गणपति को शीघ्र प्रसन्न करता है। नारद पुराण में उल्लिखित संकष्ट नाशक मंत्र इस प्रकार है: “प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्। भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये।” इसके साथ ही “ॐ गं गणपतये नमः” का निरंतर जाप करें। गणेश जी के बारह नाम, जैसे वक्रतुंड, एकदंत, और गजानन, का पाठ भी करें। ये मंत्र मन को शांति देते हैं और जीवन की बाधाओं को हटाते हैं। पूजा के अंत में मोदक और दूब का भोग लगाकर गणपति की आरती करें।