संकष्टी चतुर्थी पर करें ये सरल उपाय

भगवान गणेश से प्राप्त करें हर मनोकामना
Sankashti Chaturthi Upaay, नई दिल्ली: भगवान गणेश के भक्तों के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है, साथ ही सभी बाधाएं दूर होती हैं। कई लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि व्रत कब होगा, 10 सितंबर या 11 सितंबर। आइए जानते हैं सही तिथि, पूजा का महत्व और चंद्रोदय का समय।
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 सितंबर को दोपहर 3:37 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 11 सितंबर को दोपहर 12:45 बजे होगा। इसलिए, उदया तिथि के अनुसार, चतुर्थी का व्रत 10 सितंबर, बुधवार को रखा जाएगा।
संकष्टी चतुर्थी के व्रत में चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत कथा सुनने के बाद रात में चंद्र देव के दर्शन किए जाते हैं। 10 सितंबर 2025 को चंद्रोदय का समय रात 8:06 बजे होगा। चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाएगा.
संकष्टी चतुर्थी के दिन करें ये उपाय
सिंदूर का तिलक: गणेश जी को सिंदूर का तिलक लगाकर खुद भी तिलक करें। यह सुख-सौभाग्य का प्रतीक है।
दूर्वा और मोदक: 21 दूर्वा के गुच्छे और मोदक का भोग लगाएं, इससे कार्य सिद्धि मिलती है।
शमी के पत्ते: शमी के पत्ते अर्पित करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है।
चंद्र दर्शन और अर्घ्य: शाम को चंद्रोदय के समय तांबे के लोटे में जल, अक्षत, मिश्री और चंदन डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। इससे मानसिक शांति मिलती है।
गणेश मंत्र जप: जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए ॐ गं गौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा मंत्र का 108 बार जाप करें।
श्री गणेश यंत्र: घर के मुख्य द्वार पर श्री गणेश यंत्र स्थापित करने से नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश रुकता है।
फलाहार और पारण: व्रत के दौरान ताजे फल खाएं और अगले दिन व्रत का पारण करें।
धन लाभ के लिए: अपार धन-संपत्ति के लिए धनदाता गणेश स्तोत्र का पाठ करें।
संतान प्राप्ति के लिए: पति-पत्नी साथ में गजानन के सामने बैठकर ओम नमो भगवते गजाननाय का जाप करें।