Newzfatafatlogo

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा: भगवान राम और हनुमान की महाकथा

संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा में भगवान राम और हनुमान की अद्भुत कहानी है। यह व्रत न केवल संकटों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि भक्तों को विजय और समृद्धि भी प्रदान करता है। जानें कैसे राजा दशरथ के पुत्रशोक के शाप से भगवान राम का अवतार हुआ और कैसे हनुमान जी ने इस व्रत के प्रभाव से समुद्र पार किया। इस कथा में धार्मिकता और भक्ति का अनूठा संगम है, जो पाठकों को प्रेरित करेगा।
 | 
संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा: भगवान राम और हनुमान की महाकथा

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा

Sankashti Chaturthi Vrat Katha Ganesh Vrat: (गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा): त्रेतायुग में एक शक्तिशाली राजा थे जिनका नाम दशरथ था। उन्हें शिकार करना बहुत पसंद था। एक बार, अनजाने में, उन्होंने श्रवणकुमार नामक एक ब्राह्मण का वध कर दिया।


उस ब्राह्मण के अंधे माता-पिता ने राजा दशरथ को शाप दिया कि जिस तरह वे पुत्रशोक में दुखी हैं, उसी प्रकार तुम्हें भी पुत्रशोक का सामना करना पड़ेगा। इस शाप से राजा बहुत दुखी हो गए और उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ का आयोजन किया। इसके फलस्वरूप भगवान राम का अवतार हुआ। वहीं, भगवती लक्ष्मी जानकी के रूप में प्रकट हुईं।


भगवान राम का वनवास

राजा दशरथ की आज्ञा से भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण वन में गए, जहां उन्होंने खर-दूषण जैसे कई राक्षसों का वध किया। इससे रावण क्रोधित हुआ और उसने सीता का अपहरण कर लिया। सीता की खोज में भगवान राम ने पंचवटी का त्याग किया और ऋष्यमूक पर्वत पर पहुंचकर सुग्रीव से मित्रता की।


हनुमान की खोज

सीता जी की खोज में हनुमान और अन्य वानर तत्पर हो गए। उन्हें गिद्धराज संपाती मिले, जिन्होंने वानरों से पूछा कि वे कौन हैं और इस वन में कैसे आए हैं।


वानरों ने बताया कि दशरथ नंदन रामजी, सीता और लक्ष्मण जी के साथ दंडकवन में आए हैं, जहां सीता जी का अपहरण हुआ है। संपाती ने कहा कि वह सीता जी के हरण करने वाले को जानता है और बताया कि सीता जी अभी भी अशोक के पेड़ के नीचे बैठी हैं।


संपाती का मार्गदर्शन

संपाती ने कहा कि हनुमान जी को समुद्र पार करना चाहिए, क्योंकि केवल वे ही अपने पराक्रम से इसे लांघ सकते हैं। हनुमान जी ने संपाती से पूछा कि वह समुद्र को कैसे पार करेंगे। संपाती ने उन्हें संकटनाशक गणेश चतुर्थी का व्रत करने की सलाह दी।


हनुमान जी ने संपाती के कहने पर संकटनाशक गणेश चतुर्थी का व्रत किया, जिसके प्रभाव से वे क्षणभर में समुद्र पार कर गए। इस व्रत का कोई दूसरा सुखदायक विकल्प नहीं है।


भगवान कृष्ण का संदेश

भगवान श्रीकृष्ण ने महाराज युधिष्ठर से कहा कि वे भी इस व्रत को करें। इस व्रत के प्रभाव से वे अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर राज्य के अधिकारी बन जाएंगे। भगवान कृष्ण के वचन सुनकर युधिष्ठर ने भी गणेश चतुर्थी का व्रत किया और अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त की।