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संत कबीर साहिब का प्रकटोत्सव श्रद्धा के साथ मनाया गया

संत कबीर साहिब का प्रकटोत्सव जींद में श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शोभा यात्रा निकाली गई और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। स्वामी राघवानंद और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने कबीर साहिब के जीवन और उनके संदेश पर प्रकाश डाला। कबीर साहिब का ज्ञान आज भी मानवता के लिए प्रासंगिक है। जानें इस विशेष दिन के आयोजन के बारे में और कबीर साहिब के अद्भुत संदेश को।
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संत कबीर साहिब का प्रकटोत्सव श्रद्धा के साथ मनाया गया

संत कबीर साहिब प्रकटोत्सव का आयोजन


  • श्रद्धालुओं ने शोभा यात्रा निकाली और भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया


(Jind News) जींद। बुधवार को जिले भर में संत कबीर साहिब का प्रकटोत्सव श्रद्धा के साथ मनाया गया। गांव निर्जन डेरे में कबीर साहिब के प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में सत्संग और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैंकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इससे पहले शहर में शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। स्वामी राघवानंद ने कबीर साहिब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे केवल एक जाति या देश के गुरु नहीं थे, बल्कि उनका ज्ञान सम्पूर्ण मानवता के लिए था।


उन्होंने बताया कि कबीर साहिब ने मानवता को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया और उनके आदर्शों के अनुसार चलकर ही मानवता का कल्याण संभव है। स्वामी सदानंद ने कहा कि कबीर साहिब ने जीवन में अध्यात्म को अपनाने पर जोर दिया।


संत कबीरदास ने मानवता के उत्थान के लिए कार्य किया और अंधविश्वास से दूर रहने की प्रेरणा दी। उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है। इस अवसर पर स्वामी राघवानंद, स्वामी सदानंद, स्वामी सुखदेवानंद, स्वामी गंगादास, स्वामी श्यामानंद, कृष्णा खत्री, अनिल बामल सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।


मीठे पानी की छबील का आयोजन

कबीर साहिब प्रकट दिवस पर मीठे पानी की छबील


संतमत धारा सेवा समिति जींद के प्रांगण में कबीर साहिब के प्रकट दिवस के अवसर पर सत्संग और मीठे पानी की छबील का आयोजन किया गया। समिति के प्रधान सेवादार सूर्यदास ने कबीर साहिब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वे केवल एक जाति या देश के गुरु नहीं थे, बल्कि उनका ज्ञान सम्पूर्ण मानवता के लिए था।


सूर्यदास ने कहा कि इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है, सब नाशवान है। केवल आत्मा अविनाशी है। आत्मा को जाने बिना मानव का कल्याण संभव नहीं है। इसलिए कबीर साहिब ने अध्यात्म को अपने जीवन में अपनाने पर जोर दिया। इस अवसर पर मुख्य कार्यकर्ता थांबूराम, रमेश चंद, सालिक राम, राम अवतार, नितिन, ललिता वर्मा, नीलम देवी, सीमा देवी और अन्य उपस्थित रहे।