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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर टीडीबी का स्पष्ट बयान

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर त्रावणकोर देवासम बोर्ड के अध्यक्ष पी.एस. प्रशांत ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने बताया कि 2016 के बाद से कोई नया हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नहीं किया गया है। प्रशांत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी बेंच के समक्ष विचाराधीन है। जानें इस संवेदनशील मुद्दे पर और क्या कहा गया है और इसके पीछे की परंपराओं के बारे में।
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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर टीडीबी का स्पष्ट बयान

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर स्थिति स्पष्ट

त्रावणकोर देवासम बोर्ड (TDB) के अध्यक्ष पी.एस. प्रशांत ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे संवेदनशील मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने 2016 के बाद से सुप्रीम कोर्ट में कोई नया हलफनामा दाखिल नहीं किया है। यह बयान उन अटकलों के बीच आया है, जिनमें यह सवाल उठाया जा रहा था कि क्या मंदिर प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट में अपने रुख में बदलाव करेगा।


प्रशांत ने मीडिया को बताया, "हमारा रुख परंपराओं की रक्षा करना था।" उन्होंने स्पष्ट किया कि 2016 में दिया गया अंतिम हलफनामा सबरीमाला की पारंपरिक रीतियों और रिवाजों की सुरक्षा के लिए था। इसके बाद से कोई नया हलफनामा नहीं दिया गया है, और अब उस पुराने हलफनामे का कोई विशेष महत्व नहीं रह गया है।


उन्होंने यह भी बताया कि यह मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी संवैधानिक बेंच के समक्ष विचाराधीन है, और बोर्ड अदालत के अंतिम निर्णय का इंतजार करेगा। प्रशांत ने कहा कि पिछले 4-5 वर्षों से मंदिर में सभी पूजा-पाठ और परंपराओं का पालन बिना किसी रुकावट के किया जा रहा है।


आपको याद दिला दें कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी, जिसके बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे। अब इस मामले पर अंतिम निर्णय के लिए इसे एक बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है।