सरस्वती पूजा और विसर्जन का महत्व: जानें शुभ मुहूर्त और विधि
शारदीय नवरात्रि के दौरान सरस्वती पूजा का आयोजन विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष 02 अक्टूबर को सरस्वती विसर्जन किया जाएगा। जानें इस पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और इसके महत्व के बारे में। मां सरस्वती की पूजा से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है। विसर्जन के समय का सही ज्ञान भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
Oct 2, 2025, 13:09 IST
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सरस्वती पूजा का महत्व
शारदीय नवरात्रि के दौरान चार दिनों तक सरस्वती पूजन का आयोजन किया जाता है। यह पूजा मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों जैसे तमिलनाडु और केरल में होती है, लेकिन अब उत्तर भारत में भी इसे मनाने की परंपरा बढ़ रही है। सरस्वती पूजा की शुरुआत नवरात्रि की सप्तमी तिथि से होती है, जबकि विसर्जन नवरात्रि की नवमी तिथि या विजयादशमी पर किया जाता है। इस वर्ष, 02 अक्टूबर को सरस्वती विसर्जन का कार्यक्रम रखा गया है। आइए जानते हैं कि सरस्वती विसर्जन कब है और इसका शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 02 अक्टूबर 2025 को सरस्वती विसर्जन किया जाएगा। इस दिन श्रवण नक्षत्र में विसर्जन करना शुभ माना जाएगा। नक्षत्र विसर्जन का शुभ मुहूर्त सुबह 09:13 से लेकर दोपहर 03:19 तक है। इस प्रकार, 6 घंटे 6 मिनट की अवधि इस कार्य के लिए शुभ मानी जा रही है।
पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। फिर मां सरस्वती की प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करें। इसके बाद विधिविधान से पूजा आरंभ करें और पूजा के दौरान धूप-दीप जलाएं। मां को फल, फूल और मिठाई अर्पित करें। इस दिन साबूदाना की खीर को भोग में लगाना विशेष फलदायी होता है। पूजा के दौरान मां की आरती करें और मंत्रों का जाप करें। आप 'ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः' का 108 बार जाप करें, जिससे ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। शुभ मुहूर्त में सरस्वती माता की मूर्ति का विसर्जन करें।
महत्व
मां सरस्वती की विधिविधान से पूजा करने के बाद विजयादशमी के दिन विसर्जन करने से माता का आशीर्वाद भक्तों पर बरसता है। मां की पूजा से ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है, साथ ही कला के क्षेत्रों में भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।