सर्व पितृ अमावस्या: पितरों को श्रद्धांजलि देने का विशेष दिन
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
पितृ पक्ष वह अवधि होती है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं। यह समय उनके लिए प्रार्थना करने का होता है, लेकिन यदि आप इन 15 दिनों में श्राद्ध नहीं कर पाए हैं या किसी पूर्वज की मृत्यु की तिथि भूल गए हैं, तो सर्व पितृ अमावस्या एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसे महालया अमावस्या भी कहा जाता है।इस दिन का अर्थ है सभी पितरों की अमावस्या, जो उन सभी पूर्वजों को समर्पित है, जिनकी मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो। मान्यता है कि इस दिन सभी पितर धरती पर उपस्थित रहते हैं और अपने परिवार से तर्पण और पिंडदान की अपेक्षा करते हैं। इस दिन श्रद्धा से किया गया श्राद्ध सीधे उनके पास पहुँचता है, जिससे वे संतुष्ट होकर अपने वंश को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह दिन पितृ पक्ष का समापन और नवरात्रि की शुरुआत का संकेत भी है.
इस दिन किसका श्राद्ध किया जा सकता है? उन सभी पूर्वजों का, जिनकी मृत्यु की तिथि आपको याद नहीं है, या जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। यदि आप 15 दिनों के श्राद्ध में किसी का श्राद्ध करना भूल गए हैं, तो यह दिन उन सभी पितरों के लिए है जिन्हें आप याद करना चाहते हैं.
कैसे करें इस दिन पितरों को याद? यह प्रक्रिया बहुत सरल है: सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके बैठें। एक बर्तन में गंगाजल, दूध, काले तिल और जौ मिलाकर पितरों को याद करते हुए जल अर्पित करें, जिसे तर्पण कहा जाता है। किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर सम्मानपूर्वक भोजन कराएं, जिसमें खीर-पूड़ी का विशेष महत्व है। भोजन के बाद ब्राह्मण को दक्षिणा और वस्त्र दें। अंत में, गाय, कौए और कुत्ते के लिए भी भोजन का एक हिस्सा निकालें, क्योंकि माना जाता है कि इनके माध्यम से भोजन पितरों तक पहुँचता है.