सर्वपितृ अमावस्या और सर्वार्थ सिद्धि योग: विशेष श्राद्ध का महत्व

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
नई दिल्ली: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या और आश्विन अमावस्या इस शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा दोपहर 3:57 बजे से 57 मिनट तक सिंह राशि में रहेंगे, इसके बाद वे कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। दृष्टि पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 बजे से 12:38 बजे तक रहेगा, जबकि राहुकाल का समय 4:48 बजे से 6:19 बजे तक होगा।
श्राद्ध का महत्व
गरुड़ पुराण के अनुसार, अमावस्या तिथि पर श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को हुई हो। यदि कोई सभी तिथियों पर श्राद्ध नहीं कर पाता है, तो वह अमावस्या पर सभी के लिए श्राद्ध कर सकता है। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
विशेष अनुष्ठान
सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करना या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करना शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चींटी के लिए भोजन निकालें। ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें। पीपल के पेड़ की पूजा करें, जिसमें पितरों का वास माना जाता है, और इसकी सात परिक्रमा करें। सरसों के तेल के दीपक में काले तिल डालकर जलाना भी शुभ होता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग
सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसका मुहूर्त 11 सितंबर की सुबह 6:04 बजे से दोपहर 1:58 बजे तक रहेगा।