सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण: जानें क्या करें और क्या न करें

सूर्य ग्रहण का महत्व
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल लागू नहीं होगा। फिर भी, कुछ सावधानियां बरतना फायदेमंद हो सकता है। आइए जानते हैं कि इस दौरान कौन से कार्य करने से लाभ हो सकता है।
सूर्य ग्रहण कैसे होता है
सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण धार्मिक घटना है। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है, तब सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुँचती। इसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है ताकि इसके नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके।
स्नान और दान का महत्व
सूर्य ग्रहण के दिन दान का विशेष महत्व होता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद, यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें और दान करें। यदि नदी नहीं है, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
दान की वस्तुएं
आप अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को चना, गेहूं, गुड़, चावल, दाल, लाल वस्त्र और साबुत उड़द की दाल का दान कर सकते हैं। इससे आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
तुलसी का उपयोग
हिंदू धर्म में माना जाता है कि ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए, खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालें। इससे भोजन अपवित्र नहीं होता और ग्रहण के बाद इसे खाया जा सकता है।
मंत्रों का जाप
सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ नहीं किया जाता। इसके बजाय, भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का जाप करें। गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी लाभकारी माना जाता है। इससे देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।