सर्वपितृ अमावस्या: पितरों के प्रति श्रद्धांजलि और दान का महत्व
सर्वपितृ अमावस्या का दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने का विशेष अवसर है। इस दिन किए गए दान और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। जानें इस दिन किन चीजों का दान करना शुभ माना जाता है और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय क्या हैं।
Sep 20, 2025, 11:37 IST
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सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष स्थान है। हर महीने अमावस्या की तिथि आती है। वर्तमान में पितृपक्ष का समय चल रहा है, और आश्विन माह की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। यह दिन पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है। जिन लोगों को अपने पूर्वजों की तिथि याद नहीं रहती, उनके लिए यह दिन विशेष अवसर है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किए गए दान और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। सर्वपितृ अमावस्या पर दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन आप सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक दान-पुण्य का कार्य कर सकते हैं। हालांकि, दिन के दूसरे हिस्से में भी दान किया जा सकता है, लेकिन सुबह का समय सबसे श्रेष्ठ माना गया है।
दान के लिए उपयुक्त वस्तुएं
तिल का दान करें
सफेद या काले तिल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। तिल का दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
खीर और मीठा प्रसाद
इस दिन आप खीर, हलवा या अन्य मीठा बनाकर पितरों के लिए दान करें।
अनाज और दालें
सर्वपितृ अमावस्या पर आप गेहूं, चावल, उड़द दाल, मूंग या मसूर दाल का दान कर सकते हैं। जरूरतमंदों को दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।
सूखे मेवे और फल
आप इस दिन किसी गरीब को बादाम, किशमिश, काजू जैसे सूखे मेवे और ताजे फलों का दान कर सकते हैं। यह दान स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
कपड़े और पुराने वस्त्र
यदि आपके पास साफ कपड़े हैं, तो उन्हें जरूरतमंदों को दान करें। कपड़ों का दान पितरों को प्रसन्न करता है।
पैसों का दान
आप गरीबों, मंदिरों या जरूरतमंद बच्चों को पैसे का दान कर सकते हैं। ऐसा करने से आर्थिक और मानसिक पुण्य दोनों प्राप्त होते हैं।
पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने घर को स्वच्छ करें और शुद्ध वस्त्र पहनें। सुबह स्नान करके दक्षिण की ओर मुख कर पितरों का स्मरण करें। फिर तिल, जल, पुष्प और अक्षत से तर्पण करें। तर्पण करते समय अपने पितरों का नाम लेकर श्रद्धा व्यक्त करना न भूलें।