सावन 2025: शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व और पूजा विधि

सावन का पवित्र महीना
Sawan 2025: सावन का महीना शिव भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में इसे भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, और सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। इसलिए, इस महीने में शिव की पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से सावन के सोमवार को शिव भक्ति का महत्व और भी बढ़ जाता है, और इस दिन व्रत और पूजा से भोलेनाथ को प्रसन्न किया जा सकता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 जुलाई 2025 को सावन का पहला सोमवार मनाया जाएगा, जो गजानन संकष्टी चतुर्थी के साथ भी जुड़ा होगा, जिससे यह दिन और भी खास बन जाता है.
सावन सोमवार 2025- शुभ मुहूर्त
सावन के पहले सोमवार के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:11 से 04:52 तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:55 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:45 से 03:40 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:20 से 07:40 तक
अमृत काल: रात 11:21 से 12:55 तक (15 जुलाई)
शिव पूजा की विधि
सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
सुबह स्नान और तैयारी: जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें.
मंदिर दर्शन: यदि संभव हो, तो नजदीकी शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग का अभिषेक गंगाजल से करें.
इसके बाद पंचामृत (शहद, दही, घी, दूध, और गन्ने का रस) से अभिषेक करें। भगवान शिव को सफेद चंदन, सफेद फूल, भांग, धतूरा, फल, और तिल अर्पित करें.
अन्य देवताओं की पूजा: भगवान गणेश, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय, और नंदी महाराज को प्रसाद और फूल चढ़ाएं.
आरती और मंत्र जप: शिवजी की आरती करें और "ऊं नम: शिवाय" या "श्री शिवाय नमस्तुभ्यं" मंत्र का जप करें। अंत में भगवान शिव को घर पर बनी खीर का भोग लगाएं.
सावन सोमवार का महत्व
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए समर्पित है। इस महीने में शिवलिंग पर जल, दूध, और बिल्व पत्र अर्पित करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। सावन के सोमवार को व्रत रखने और शिव मंत्रों का जप करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन गजानन संकष्टी चतुर्थी का संयोग होने से भगवान गणेश की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है.
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
शिव पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री तैयार करें:
गंगाजल
पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, गन्ने का रस)
सफेद चंदन
सफेद फूल
भांग और धतूरा
फल और तिल
खीर (भोग के लिए)
बिल्व पत्र