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सावन का महीना: भगवान शिव की पूजा और विवाह पर रोक का रहस्य

सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष समय है। इस दौरान भक्तजन श्रद्धा से पूजा करते हैं, लेकिन इस पवित्र महीने में विवाह क्यों नहीं होते? जानें इसके पीछे का धार्मिक कारण और शिववास योग के महत्व के बारे में। सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, जिसमें विशेष योग बन रहा है।
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सावन का महीना: भगवान शिव की पूजा और विवाह पर रोक का रहस्य

सावन का महत्व और पूजा

नई दिल्ली: सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव का प्रिय समय होता है। इस अवधि में भक्तजन श्रद्धा के साथ भोलेनाथ की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और उनसे सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। मान्यता है कि यदि सावन में भगवान शिव प्रसन्न हो जाएं, तो सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। विशेषकर कुंवारी लड़कियां अपने मनपसंद वर के लिए इस महीने में शिव की आराधना करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार की खुशहाली के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं।


सावन में विवाह पर रोक का कारण

हालांकि, इस पवित्र महीने में शादियों को टालने का एक विशेष धार्मिक कारण है। सावन का महीना चातुर्मास के दौरान आता है, जब भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं।


भगवान विष्णु की योग निद्रा और विवाह

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, विवाह जैसे महत्वपूर्ण मांगलिक कार्य भगवान विष्णु के आशीर्वाद के बिना संपन्न नहीं हो सकते। जब वह योग निद्रा में होते हैं, तब इस प्रकार के कार्यों पर रोक लगाई जाती है। कहा जाता है कि इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जाती है, लेकिन वह स्वयं विवाह समारोह में शामिल नहीं होते, इसलिए सावन में विवाह करना शुभ नहीं माना जाता।


सावन का महीना और शिववास योग

भगवान विष्णु की योग निद्रा के कारण सावन में विवाह का आयोजन बहुत कम होता है। भक्तजन इस महीने में पूरी श्रद्धा से भोलेनाथ की पूजा करते हैं और सुख-शांति की कामना करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू होगा। इस बार सावन के पहले दिन शिववास योग बन रहा है, जो एक विशेष योग है। इस शुभ योग में भगवान शिव माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे। मान्यता है कि इस योग में शिवजी की पूजा करने से साधक को सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।