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सावन का महीना: भगवान शिव की पूजा का विशेष समय

सावन का महीना सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस वर्ष सावन का आरंभ 11 जुलाई से हो रहा है, जिसमें चार सोमवार महत्वपूर्ण हैं। जानें इस महीने की पूजा विधि और विशेष योगों के बारे में, जो भक्तों को आशीर्वाद और लाभ प्रदान करते हैं। सावन के पहले सोमवार का महत्व और पूजा के दौरान की जाने वाली विशेष क्रियाएं भी जानें।
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सावन का महत्व और पूजा विधि

क्या आप जानते हैं कि सावन का महीना सनातन धर्म में क्यों इतना महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है? यह समय भगवान शिव की भक्ति और पूजा के लिए समर्पित है। इस वर्ष सावन का आरंभ 11 जुलाई से हो रहा है, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और समृद्धि का संदेश लाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, सावन के महीने में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व है, और इसे श्रद्धा के साथ करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सावन की शुरुआत ‘उदया तिथि’ से होती है। इस वर्ष श्रावण मास की प्रतिपदा 11 जुलाई की सुबह 2:06 बजे से शुरू होकर 12 जुलाई की सुबह 2:08 बजे तक चलेगी। सावन मास में सोमवार का विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दिन के व्रत-पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है।


इस सावन में कुल चार सोमवार पड़ेंगे, जिनकी तिथियां इस प्रकार हैं: पहला सोमवार: 14 जुलाई, दूसरा सोमवार: 21 जुलाई, तीसरा सोमवार: 28 जुलाई, चौथा सोमवार: 4 अगस्त। सावन मास की समाप्ति 9 अगस्त को सावन पूर्णिमा के साथ होगी।


अब सवाल यह है कि सावन के पहले सोमवार का दिन क्यों खास होता है? ज्योतिषाचार्य पंडित विकास शास्त्री के अनुसार, इस दिन छह महत्वपूर्ण योग बनेंगे, जो हर दिन के लिए शुभ मुहूर्त लेकर आते हैं। सावन के पहले सोमवार यानी 14 जुलाई को प्रीति योग सुबह 10 बजे से रात 10:30 बजे तक रहेगा। इसके बाद आयुष्मान, सुकर्मा, शोभन, सर्वार्थसिद्धि और शिव योग क्रमशः दोपहर 12 बजे से शाम 7 बजे तक बनेंगे।


इन योगों के बीच विशेष समय इस प्रकार है: आयुष्मान योग: 12:18 बजे से 1:51 बजे तक, सुकर्मा योग: 1:43 बजे से 2:33 बजे तक, शोभन और सर्वार्थसिद्धि योग: 2:37 बजे से 4:58 बजे तक, शिव योग: 5:19 बजे से 7:11 बजे तक। इन शुभ योगों में भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को अपार लाभ और आशीर्वाद मिलता है।


पूजा के दौरान भक्त उपवास रखते हैं और शिवलिंग पर गंगाजल, कच्चा दूध, बेलपत्र, चंदन, पुष्प तथा अक्षत अर्पित करते हैं। इसके बाद जलाभिषेक के साथ आरती की जाती है और मंत्रों का जाप किया जाता है। इस दिन की खास बात यह है कि सावन सोमवार के व्रत से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। अंत में क्षमा प्रार्थना करना भी परंपरा में शामिल है।