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सावन दामोदर द्वादशी: महत्व, पूजा विधि और लाभ

सावन दामोदर द्वादशी एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, जो भक्तों को आत्मिक शुद्धि और भक्ति साधना का अवसर प्रदान करता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। जानें इस पर्व का महत्व, पूजा विधि और इसके लाभ, जो आपके जीवन में सुख और समृद्धि लाने में सहायक हो सकते हैं।
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सावन दामोदर द्वादशी: महत्व, पूजा विधि और लाभ

सावन दामोदर द्वादशी का महत्व

आज सावन दामोदर द्वादशी का पर्व है, जो केवल एक तिथि नहीं बल्कि भक्तों के लिए आत्मिक शुद्धि और भक्ति साधना का अवसर है। इस दिन उपवास रखने से साधक सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है। आइए जानते हैं सावन दामोदर द्वादशी के महत्व और पूजा विधि के बारे में। 


सावन दामोदर द्वादशी के बारे में जानें

हिंदू धर्म में सावन दामोदर द्वादशी का विशेष स्थान है। यह पवित्र एकादशी व्रत के एक दिन बाद मनाया जाता है और भगवान विष्णु को समर्पित है। भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें नैवेद्यम अर्पित करते हैं और फिर प्रसाद से उपवास तोड़ते हैं। इस दिन व्रत करने से भक्तों पर भगवान विष्णु की कृपा होती है और उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।


सावन दामोदर द्वादशी का महत्व

सावन दामोदर द्वादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन की पूजा से भक्तों को सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। पंडितों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की प्रार्थना करना उतना ही फलदायी है जितना कि श्रावण महीने में भगवान शिव की पूजा करना। भक्त इस दिन ब्राह्मणों को दान देते हैं, जो कि शुभ माना जाता है।


सावन दामोदर द्वादशी व्रत के लाभ

सावन दामोदर द्वादशी का व्रत करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं। इस दिन भगवान दामोदर की पूजा से सभी पाप नष्ट होते हैं और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। दामोदर द्वादशी का व्रत संतान प्राप्ति में बाधा डालने वाले दंपतियों के लिए भी फलदायी होता है।


सावन दामोदर द्वादशी 2025: शुभ मुहूर्त

पंडितों के अनुसार, 2025 में सावन दामोदर द्वादशी का पर्व 5 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह आमतौर पर पुत्रदा एकादशी के अगले दिन आता है।


सावन दामोदर द्वादशी की पूजा विधि

दामोदर द्वादशी पर पूजा विधि सरल और श्रद्धापूर्ण होती है। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा, तुलसी के पत्ते, फल, मिठाई आदि एकत्रित करें। सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को पवित्र करें और भगवान गणेश का आह्वान करें। भगवान को चंदन, कुमकुम और फूल अर्पित करें। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें और शाम को दामोदर द्वादशी की कथा सुनें।