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सावन पुत्रदा एकादशी: तिथि, महत्व और पूजा विधि

सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत हर साल श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस वर्ष यह 05 अगस्त 2025 को है। इस दिन व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति में मदद मिलती है। जानें इस विशेष दिन की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
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सावन पुत्रदा एकादशी: तिथि, महत्व और पूजा विधि

सावन पुत्रदा एकादशी का महत्व

साल में कुल 24 एकादशी होती हैं, जिनमें से प्रत्येक महीने में दो एकादशी आती हैं। इनमें से कुछ एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है। उदाहरण के लिए, सावन महीने में आने वाली एकादशी का धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष स्थान है। इस वर्ष, सावन पुत्रदा एकादशी 05 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। यह हर साल श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।


तिथि और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 04 अगस्त को सुबह 11:11 बजे से शुरू होगी और 05 अगस्त को दोपहर 01:12 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, उदयातिथि के अनुसार, 05 अगस्त 2025 को पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाएगा। व्रत का पारण अगले दिन, यानी 06 अगस्त को सुबह 07:15 से 08:21 के बीच किया जाएगा।


पूजन विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद, घर के मंदिर की सफाई करें और एक लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा के दौरान श्रीहरि को धूप, दीप, फूल-माला, बेलपत्र और आंकड़े का फूल अर्पित करें। इसके बाद, रोली, कुमकुम और नैवैद्य अर्पित करें। भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें और फिर पुत्रदा एकादशी का पाठ करें। अंत में, आरती करें और भगवान विष्णु के समक्ष एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लें।