सावन पुत्रदा एकादशी: संतान सुख और समृद्धि का विशेष व्रत

पुत्रदा एकादशी का महत्व
नई दिल्ली - सावन पुत्रदा एकादशी का पावन व्रत 5 अगस्त को मनाया जाएगा। यह व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आयोजित किया जाता है, जो भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत संतान सुख, समृद्धि और पारिवारिक सौहार्द के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
सफलता के लिए उपाय
यदि आपके परिवार के सदस्यों को सफलता नहीं मिल रही है, तो सावन के अंतिम सोमवार को शिव मंदिर जाकर भगवान शिव को बेल का फल अर्पित करें। इसके साथ ही, मंदिर में बैठकर शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से परिवार के सदस्यों की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
धन-संपत्ति में वृद्धि
यदि आप अपनी धन-संपत्ति में वृद्धि की कामना रखते हैं, तो सावन के अंतिम सोमवार को इंद्र योग के दौरान स्नान के बाद एक एकाक्षी नारियल लेकर उसे अपने घर के मंदिर में रखकर भगवान शिव की पूजा करें। इस नारियल की पूजा करने से धन में वृद्धि होने की मान्यता है।
करियर में तरक्की
अपने करियर या व्यवसाय में प्रगति के लिए, सावन के अंतिम सोमवार को 11 कौड़ियों को मंदिर में रखकर पूजा करें। फिर उन्हें लाल कपड़े में बांधकर अपने ऑफिस के कैश बॉक्स में रखें। यह उपाय बिजनेस लाभ के योग बनाने में सहायक माना जाता है।
व्रत की विधि
यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए फलदायी है, जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल एकादशी तिथि 4 अगस्त 2025 को सुबह 11:41 बजे शुरू होगी और 5 अगस्त को दोपहर 1:12 बजे समाप्त होगी। इस दिन सूर्योदय सुबह 5:45 बजे और सूर्यास्त शाम 7:09 बजे होगा।
धर्मशास्त्रों के अनुसार, इस दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने व्रत का संकल्प लें और विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। पूजा में दीप, धूप, फूल, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम और शिव स्तोत्र का पाठ करें। एकादशी व्रत कथा सुनें या पढ़ें। दिनभर व्रत रखें और रात्रि में भगवान का भजन-कीर्तन करें। अगले दिन द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें और फिर व्रत का पारण करें।
पुत्रदा एकादशी का फल
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान प्राप्ति, पारिवारिक सुख-समृद्धि और पापों का नाश होता है। यह व्रत भगवान विष्णु और शिव की कृपा से जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। दान-पुण्य और भक्ति से इस व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।