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सावन पूर्णिमा: राखी बांधने का शुभ अवसर और पूजा विधि

सावन पूर्णिमा का पर्व इस वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाएगा, जो भगवान शिव और चंद्रमा को समर्पित है। इस दिन विशेष योग बन रहे हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। जानें इस दिन की पूजा विधि, अर्घ्य देने का तरीका और रक्षा बंधन के लिए शुभ मुहूर्त। विभिन्न राज्यों में इस पर्व को मनाने के तरीके के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।
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सावन पूर्णिमा: राखी बांधने का शुभ अवसर और पूजा विधि

सावन पूर्णिमा का महत्व

नई दिल्ली: भोलेनाथ को समर्पित सावन मास का समापन शनिवार, 9 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के साथ होगा। यह दिन सावन पूर्णिमा व्रत और रक्षा बंधन के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष, सावन पूर्णिमा पर आयुष्मान और सौभाग्य जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन को विशेष बनाते हैं।


तिथि और समय

दृक पंचांग के अनुसार, शनिवार को सूर्योदय सुबह 5:46 बजे और सूर्यास्त शाम 7:07 बजे होगा। पूर्णिमा तिथि दोपहर 2:12 बजे से शुरू होगी, जो रक्षा बंधन और पूर्णिमा व्रत के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन चंद्रमा मकर राशि में और सूर्य कर्क राशि में रहेंगे।


व्रत और पूजा विधि

सावन पूर्णिमा का व्रत भगवान शिव और चंद्रमा को समर्पित है। इस दिन व्रति को प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए। पूजा में शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, और घी अर्पित करें। इसके साथ ही इत्र, बेलपत्र, काला तिल, जौ, गेहूं, गुड़ समेत अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। चंद्र देव की पूजा भी इस दिन लाभकारी मानी जाती है। ज्योतिष के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा पीड़ित होते हैं, उनके लिए यह पूर्णिमा विशेष महत्व रखती है।


अर्घ्य और दान

चंद्र देव की पूजा के बाद जल और दूध से अर्घ्य देना चाहिए। इसके लिए जल में दूध और चीनी मिलाकर चांदी के पात्र से चंद्रमा को अर्घ्य दें और 'ओम सोम सोमाय नम:' के साथ 'ओम नमः शिवाय' और 'ओम सोमेश्वराय नमः' का जप करें। व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होती है और चंद्रोदय के बाद पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। व्रत के दौरान फलाहार ग्रहण करना चाहिए। पूजा के बाद जरूरतमंदों और ब्राम्हणों को दान देना शुभ माना जाता है।


रक्षा बंधन का पर्व

पूर्णिमा के दिन भद्रा का प्रभाव सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगा, जिससे यह समय राखी बांधने के लिए उपयुक्त है। इस दिन रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। शुभ मुहूर्त सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा। बहनें इस दिन अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।


विभिन्न राज्यों में पर्व का उत्सव

महाराष्ट्र में इसे नारली या नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में इसे अवनी अवित्तम के रूप में मनाया जाता है, जो ब्राह्मण समुदाय के लिए नए यज्ञोपवीत पहनने का दिन होता है। आंध्र प्रदेश में इसे जन्ध्याला पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। भारत के अन्य क्षेत्रों में, श्रावण पूर्णिमा के दौरान यज्ञोपवीत बदलने के अनुष्ठान को उपाकर्म कहा जाता है।