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सावन प्रदोष व्रत 2025: तिथियाँ, पूजा विधि और महत्व

सावन प्रदोष व्रत 2025 का समय नजदीक आ रहा है, जो भगवान शिव के भक्तों के लिए एक विशेष अवसर है। इस वर्ष सावन 11 जुलाई से 9 अगस्त तक रहेगा, जिसमें 22 जुलाई और 6 अगस्त को दो महत्वपूर्ण प्रदोष व्रत मनाए जाएंगे। जानें इन व्रतों की तिथियाँ, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति लाता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी भरता है। भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए तैयार रहें!
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सावन प्रदोष व्रत 2025: तिथियाँ, पूजा विधि और महत्व

सावन प्रदोष व्रत 2025: तिथियाँ और पूजा विधि

Sawan pradosh vrat 2025: तिथियाँ, पूजा विधि और भोलेनाथ का आशीर्वाद: सावन प्रदोष व्रत 2025 का समय नजदीक आ रहा है, और भोलेनाथ के भक्तों के लिए यह महीना एक विशेष उत्सव की तरह है! सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, और इस दौरान आने वाले प्रदोष व्रत भक्तों के लिए विशेष आशीर्वाद लेकर आते हैं। इस वर्ष सावन 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा, जिसमें दो महत्वपूर्ण प्रदोष व्रत मनाए जाएंगे। यदि आप भक्ति में लीन होना चाहते हैं या जीवन में सुख और शांति की कामना कर रहे हैं, तो ये व्रत आपके लिए हैं। आइए, सावन प्रदोष व्रत 2025 की तिथियों, पूजा विधि और इसके महत्व को विस्तार से जानें!


सावन प्रदोष व्रत 2025: महत्वपूर्ण तिथियाँ


सावन प्रदोष व्रत 2025 में दो विशेष तिथियाँ हैं। पहला व्रत 22 जुलाई को है, जिसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाएगा। दूसरा व्रत 6 अगस्त को होगा, जो शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर बुध प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाएगा। इन दोनों दिनों पर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने का अद्भुत अवसर है। इन तिथियों को ध्यान में रखें ताकि आप इस पवित्र व्रत को श्रद्धा के साथ कर सकें।


प्रदोष व्रत की पूजा विधि


सावन प्रदोष व्रत 2025 को सही तरीके से करना अत्यंत आवश्यक है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और मन को शुद्ध करके व्रत का संकल्प लें। आप फलाहार या निर्जल व्रत रख सकते हैं। पूजा में भगवान शिव को बेलपत्र, दूध, दही, शहद और तुलसी अर्पित करें। शिव पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। माता पार्वती, नंदी, कार्तिकेय और गणेश जी की भी पूजा करें। प्रदोष काल, यानी सूर्यास्त से 1.5 घंटे पहले और बाद तक, पूजा का सबसे शुभ समय होता है। शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करें और दीप जलाएं।


पारण का समय


सावन प्रदोष व्रत 2025 का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। 22 जुलाई के व्रत का पारण 23 जुलाई को और 6 अगस्त के व्रत का पारण 7 अगस्त को सुबह स्नान और शिव पूजा के बाद करें। पारण से पहले दान-पुण्य करना न भूलें। ये छोटी-छोटी बातें व्रत के फल को और बढ़ा देती हैं। सही समय पर पारण करने से भोलेनाथ की कृपा बरसती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।


सावन प्रदोष का महत्व


सावन का महीना शिव भक्ति के लिए सबसे पवित्र माना जाता है, और प्रदोष व्रत इस भक्ति को और गहरा करता है। सावन प्रदोष व्रत 2025 न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है। भक्तों का मानना है कि इस व्रत से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं। चाहे स्वास्थ्य, धन या परिवार की खुशी की कामना हो, ये व्रत हर भक्त के लिए विशेष हैं। तो, इस सावन भोले बाबा की भक्ति में लीन हो जाएं!