सावन में रुद्राक्ष धारण करने की विधि: जानें नियम और मंत्र

सावन का महत्व और रुद्राक्ष का महत्व
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, और रुद्राक्ष पहनना भी बहुत पुण्यदायी माना जाता है। रुद्राक्ष को शिव का आभूषण माना जाता है, और इसकी उत्पत्ति भगवान शिव की आंखों से मानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रुद्राक्ष पहनने के लिए कुछ खास नियम होते हैं, जिनका पालन करने से इसके प्रभाव में वृद्धि होती है?
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
सावन के महीने में रुद्राक्ष पहनने का सबसे शुभ समय होता है।
रुद्राक्ष की माला को पूर्णत: अखंडित और शुद्ध होना चाहिए।
इसे रवि पुष्य योग, सोम पुष्य योग या सोमवार को लाना सबसे अच्छा होता है।
माला को गंगाजल से धोकर एक थाली में रखें और स्नान के बाद इसे शुद्ध जल, दूध और चंदन मिश्रित जल से स्नान कराएं।
रुद्राक्ष पर श्वेत पुष्प, धतूरा, मदार, अक्षत, और बेलपत्र चढ़ाएं और धूप-दीप दिखाकर आरती करें।
पूजन के दौरान 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र या राशि अनुसार विशेष मंत्र का जाप करें।
शिवजी से विशेष प्रार्थना
रुद्राक्ष की पूजा के बाद शिवजी से प्रार्थना करें: 'हे शिवजी, कृपया इस रुद्राक्ष माला में निवास करें, इसे अपने दिव्य प्रभाव से शक्तिशाली बनाएं। मैं इसे धारण कर सदा आपका कृपा पात्र बनूं और मेरी रक्षा करें।'
मंत्र जाप और हवन की प्रक्रिया
माला को धूप के धुएं से शुद्ध करें।
सुमेरू को माथे से लगाएं और 11 माला मंत्र जाप करें।
फिर 21 आहुतियों के साथ हवन करें और ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा दें।
अंत में माला को शिवजी की प्रतिमा से स्पर्श कराते हुए मंत्र पढ़ते हुए धारण करें।
भस्म का तिलक लगाकर शिवजी को नमन करें।
राशि अनुसार रुद्राक्ष मंत्र
राशि-विशेष मंत्र:
मेष - ॐ हं हं नमः
वृषभ - ॐ नमः शिवाय
मिथुन - ॐ हूं नमः
कर्क - ॐ श्रीं नमः
सिंह - ॐ ह्रीं नमः
कन्या - ॐ ऐं ह्रीं श्रीं
तुला - ॐ यं नमः
वृश्चिक - ॐ हूं ह्रीं नमः
धनु - ॐ क्लीं नमः
मकर - ॐ कं नमः
कुंभ - ॐ गं नमः
मीन - ॐ ऐं क्लीं नमः