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सावन में शिव पूजा: विशेष दिन और उनके महत्व

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक है, जिसमें विशेष दिन जैसे सावन शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, मंगला गौरी व्रत और नाग पंचमी आते हैं। इन दिनों की पूजा से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। जानें इन खास दिनों के महत्व और कैसे आप भोलेनाथ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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सावन में शिव पूजा: विशेष दिन और उनके महत्व

सावन में शिव पूजा: भोलेनाथ की कृपा के विशेष दिन

सावन का महीना भगवान शिव के प्रति भक्ति का प्रतीक है, जब भक्तों पर भोलेनाथ की कृपा की वर्षा होती है। सावन में शिव पूजा (Sawan Mein Shiv Puja) का नाम सुनते ही मन में श्रद्धा की लहर दौड़ जाती है। सभी जानते हैं कि सावन के सोमवार को शिव पूजा और व्रत से इच्छाएं पूरी होती हैं।


लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन में और भी कुछ खास दिन हैं, जब भगवान शिव की विशेष कृपा बरसती है? सावन शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, मंगला गौरी और नाग पंचमी जैसे दिन आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकते हैं। आइए, इन विशेष दिनों की महिमा को समझते हैं और इस सावन भोलेनाथ को प्रसन्न करने की तैयारी करते हैं!


सावन शिवरात्रि

सावन की चतुर्दशी तिथि को आने वाली सावन शिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल, दूध और बेलपत्र चढ़ाकर 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।


मान्यता है कि इस रात जागरण करके शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ की भक्ति में डूबकर अपने पापों से मुक्ति पाएं। यह दिन आपके जीवन में नई रोशनी ला सकता है। सावन में इस अवसर को न चूकें, क्योंकि भोलेनाथ इस दिन सबसे उदार होते हैं।


प्रदोष व्रत

सावन में त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने का सुनहरा अवसर है। विशेष रूप से सूर्यास्त के बाद का प्रदोष काल शिव पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग और दूध चढ़ाएं।


यदि यह व्रत सोमवार, मंगलवार या शनिवार को पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष, भौम प्रदोष या शनि प्रदोष कहा जाता है, और इसका फल कई गुना बढ़ जाता है। यह व्रत शत्रुओं पर विजय और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देता है। सावन में प्रदोष व्रत रखकर भोलेनाथ को प्रसन्न करें और अपनी राह की हर बाधा को दूर करें।


मंगला गौरी व्रत

सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है, जो माता पार्वती के गौरी स्वरूप को समर्पित है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और संतान सुख के लिए यह व्रत करती हैं। अविवाहित कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए इस व्रत को करती हैं।


इस दिन माता गौरी की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। घर में सुख-शांति का माहौल बनता है। सावन के मंगलवार को गौरी मां को लाल फूल, सिंदूर और मिठाई अर्पित करें। यह व्रत आपके परिवार को प्रेम और समृद्धि से भर देगा।


नाग पंचमी और एकादशी

सावन की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन नाग देवता की पूजा के साथ शिवलिंग पर दूध चढ़ाना शुभ है, क्योंकि नाग भगवान शिव के गले का आभूषण हैं। यह पूजा आपके परिवार को सुरक्षा प्रदान करती है। इसके अलावा, सावन की एकादशी भी महत्वपूर्ण है।


यह दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ शिव परिवार की पूजा के लिए खास है। एकादशी व्रत और शिव मंत्रों का जाप मानसिक शांति प्रदान करता है। सावन में इन तिथियों पर पूजा करके अपने पापों से मुक्ति पाएं और भोलेनाथ की कृपा से जीवन को सुखमय बनाएं।