सावन सोमवर 2025: शिव पूजा का महत्व और विधि

सावन सोमवर का महत्व
Sawan Somwar 2025 Vrat: आज श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है, जो कि अंदल जयंती और विनायक चतुर्थी के पर्व का दिन है। आज सावन का तीसरा सोमवार भी है, जो हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं, ताकि उनका जीवन सुखमय हो। सावन के हर दिन का अपना महत्व है, लेकिन सावन सोमवार का विशेष महत्व है क्योंकि यह देवों के देव महादेव को समर्पित है।
व्रत रखने की परंपरा
विवाहित जातकों के साथ-साथ कुंवारी कन्याएं भी इस दिन व्रत रखती हैं, ताकि उन्हें अपने मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति हो सके। पूजा-पाठ के साथ-साथ शिव मंत्रों का जाप और आरती करना भी इस दिन शुभ माना जाता है।
शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त
शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त
शिव जी के प्रभावशाली मंत्र
शिव जी के प्रभावशाली मंत्र
शिव जी की पूजा विधि
शिव जी की पूजा विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
- स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध हरे या लाल रंग के कपड़े पहनें।
- हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
- शिव मंदिर जाएं और सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
- शिव जी और देवी पार्वती की पूजा करें और उन्हें पूजा सामग्री अर्पित करें। इस दौरान शिव मंत्रों का जाप करें।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
- घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें।
शिव जी की आरती
शिव जी की आरती
शिव जी की पूजा सामग्री
शिव जी की पूजा सामग्री
सावन के दौरान शिव जी को जल, दूध, बेल पत्र, भांग, धतूरा, दही, शक्कर, गंगाजल, घी, पीली सरसों, अक्षत, हल्दी, चंदन, शहद, भस्म, वस्त्र, दीप, धूप, शमी पत्र, गेहूं, कमल के गट्टे, सुपारी, अबीर, लॉन्ग, इलायची, पान के पत्ते, गुलाल और कपूर अर्पित करना शुभ होता है।
शिवलिंग पर किन चीजों को चढ़ाना वर्जित है?
शिवलिंग पर किन चीजों को चढ़ाना वर्जित है?
शिवलिंग पर हल्दी, शंख से जलाभिषेक, तुलसी का पत्ता, कुमकुम, रोली, तिल, नारियल का पानी, खंडित चावल, केतकी, कमल, उबला हुआ दूध, कंटकारी, केवड़ा, अनार, चंपा, वैजयंती, केला, नारंगी, लीची, सेब, नाशपाती, मदंती, नारियल, जामुन, जूही, कैथ, अंगूर और कटहल अर्पित करना वर्जित होता है। इसके अलावा शिवलिंग पर लाल रंग के फूल अर्पित करना भी अशुभ माना जाता है।