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सूर्य देव की उत्पत्ति की रोचक कथा

इस लेख में हम सूर्य देव की उत्पत्ति की रोचक कथा के बारे में जानेंगे। हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा का महत्व और उनके जन्म की कहानी को समझना दिलचस्प है। यह कथा बताती है कि कैसे सूर्य देव ने देवताओं को स्वर्ग लौटाने में मदद की। जानें इस कथा के पीछे का गूढ़ अर्थ और धार्मिक मान्यताएँ।
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सूर्य देव की उत्पत्ति की रोचक कथा

सूर्य देव की पूजा का महत्व


हिंदू धर्म में सूर्य देव को अत्यंत पूजनीय माना जाता है। मान्यता है कि सूर्योदय के समय उन्हें जल अर्पित करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, जिससे साधक को सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।


सूर्य देव की आराधना का दिन

रविवार का दिन सूर्य देव की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। उन्हें भास्कर, आदित्य और भानु जैसे कई नामों से जाना जाता है। सूर्य देव के जन्म की एक दिलचस्प कथा है, जिसे जानना रोचक होगा।


देवताओं की अदिति के पास यात्रा

ब्रह्म पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, पहले संसार में कोई प्रकाश नहीं था, जिससे दिन और रात का भेद मिट गया था। एक बार राक्षसों और देवताओं के बीच युद्ध हुआ, जिसमें राक्षसों ने देवताओं पर विजय प्राप्त की। इस कारण देवताओं को स्वर्ग छोड़कर भागना पड़ा और वे अपनी माता अदिति के पास सहायता के लिए गए।


अदिति का वरदान

अदिति ने सूर्य देव की आराधना की और उनसे वरदान मांगा कि वे उनके पुत्र के रूप में जन्म लें। सूर्य देव ने सुषुम्ना नाम की किरण से उनके गर्भ में प्रवेश किया। गर्भधारण के बाद अदिति ने सूर्य देव के लिए कठिन व्रत करने का निर्णय लिया।


संसार का प्रकाश

अदिति ने अपने योगबल से गर्भ को अंड रूप में बाहर निकाला, जिससे दिव्य प्रकाश उत्पन्न हुआ। भगवान सूर्य शिशु रूप में प्रकट हुए और संसार रोशनी से भर गया, जिससे दैत्य भाग खड़े हुए। इसके बाद देवताओं का राज फिर से स्वर्ग में स्थापित हो गया।


सूर्य देव का जन्म

मान्यता है कि सूर्य देव का जन्म माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था, जिसे रथ सप्तमी के रूप में मनाया जाता है।