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स्कंदमाता पूजा: नवरात्र के 5वें दिन करें विशेष पूजा

नवरात्रि के 5वें दिन, भक्तों के लिए स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है। इस वर्ष नवरात्रि 10 दिनों तक मनाई जाएगी, जिससे भक्तों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जानें इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मां के प्रिय रंग और भोग के बारे में। स्कंदमाता की आरती और मंत्र का जाप भी जानें, जिससे आप इस पावन अवसर का सही लाभ उठा सकें।
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स्कंदमाता पूजा: नवरात्र के 5वें दिन करें विशेष पूजा

पूजा विधि, भोग, रंग मंत्र और आरती


जानें विधि, भोग, रंग मंत्र और आरती
शारदीय नवरात्र का पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है। इस वर्ष तिथियों में बदलाव के कारण यह पर्व 10 दिनों तक चलेगा। इस कारण भक्तों में यह असमंजस है कि किस दिन किस देवी की पूजा की जाए। पंचांग के अनुसार, नवरात्रि की पंचमी तिथि 27 सितंबर 2025 को है, जिस दिन स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। आइए जानते हैं स्कंदमाता की पूजा से संबंधित सभी जानकारी।


स्कंदमाता पूजा शुभ मुहूर्त


  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:36 से 05:24 तक

  • सुबह का मुहूर्त- 07:50 से 09:19 तक

  • दोपहर का मुहूर्त- 12:17 से 01:46 तक

  • अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:84 से 12:36 तक

  • संध्याकाल पूजा मुहूर्त- 06:30 से 07:42 तक


मां स्कंदमाता पूजा विधि

सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। इसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें। पूजा स्थल पर लकड़ी की चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। मां स्कंदमाता की तस्वीर स्थापित करें। उन्हें फूलों की माला पहनाएं, कुमकुम से तिलक करें और फूल, फल, अबीर, गुलाल, सिंदूर, मेहंदी, हल्दी आदि अर्पित करें।


इस मंत्र का जाप करें

या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


स्कंदमाता का प्रिय रंग और भोग

स्कंदमाता को पीला रंग प्रिय है। इसलिए पूजा में पीले रंग की वस्तुएं अर्पित करें। मां को पूजा में पीले रंग के फल जैसे केला अर्पित किया जाता है। भोग में आप पीले रंग की मिठाई, हलवा, केसर वाली खीर आदि भी अर्पित कर सकते हैं।


स्कंदमाता का स्वरूप

नवदुर्गा में स्कंदमाता पांचवे स्वरूप के रूप में जानी जाती हैं। नवरात्रि की पांचवीं तिथि इन्हीं माता की पूजा के लिए समर्पित है। स्कंदमाता का नाम भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण पड़ा है। मां का स्वरूप अद्भुत है, जिसमें बालस्वरूप स्कंद उनकी गोद में हैं। मां का शरीर श्वेत है और वह कमल के फूल पर विराजमान हैं। मां की चार भुजाओं में एक हाथ में भगवान स्कंद, दो हाथों में कमल का फूल और एक हाथ अभय मुद्रा में है।


मां स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी।
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा।
कही पहाडो पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए।
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी।