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हनुमान पूजा: पितरों की पूजा का शुभ अवसर

इस लेख में हनुमान पूजा के महत्व और पितृपक्ष के दौरान की जाने वाली पूजा विधि के बारे में जानकारी दी गई है। जानें कि कैसे इस दिन की पूजा से शक्ति और साहस में वृद्धि होती है, और कौन से शुभ योग इस दिन बनते हैं। हनुमानजी की पूजा से न केवल कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह शनि दोष को भी दूर करने में सहायक होती है।
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हनुमान पूजा: पितरों की पूजा का शुभ अवसर

पूजन विधि की जानकारी


हनुमान पूजा का महत्व
इस वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि मंगलवार को पितृपक्ष का दूसरा दिन मनाया जाएगा। हनुमानजी की पूजा का महत्व शास्त्रों में अत्यधिक बताया गया है। मंगलवार का व्रत रखकर हनुमानजी की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। हनुमानजी को अष्टसिद्धि और नवनिधि का दाता माना जाता है, और उनकी पूजा से साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।


शुभ योग का समय

पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:53 से 12:43 तक रहेगा। राहुकाल का समय दोपहर 3:26 से 4:59 तक होगा। इस दिन सूर्य सिंह राशि में और चंद्रमा मीन राशि में स्थित रहेंगे।


सर्वार्थ सिद्धि योग एक विशेष नक्षत्र के मेल से बनता है, जो इस दिन के लिए अत्यंत शुभ है। इसके साथ ही अतिगण्ड और वृद्धि योग भी बन रहे हैं, जो पितृपक्ष के पहले दिन किए गए कार्यों को सफल बनाते हैं।


शनि दोष का निवारण

9 सितंबर को मंगलवार का दिन भी है, जो स्कंद पुराण के अनुसार भगवान हनुमान का जन्मदिन है। इस दिन कई साधक हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। ज्योतिष में हनुमानजी को शनि की पीड़ा को दूर करने वाला माना गया है।


पूजा विधि

मंगलवार को पूजा विधि के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को साफ करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर पूजा सामग्री रखें और हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करें।


इसके बाद हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें, सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और प्रसाद चढ़ाएं। आरती करने के बाद प्रसाद ग्रहण करें। इस दिन शाम को भी हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।


मान्यता

मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने से शक्ति और साहस में वृद्धि होती है। लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है, इसलिए इस दिन लाल कपड़े पहनना और लाल रंग के फल, फूल और मिठाइयां अर्पित करना शुभ माना जाता है।