हरतालिका तीज: सुहागिन महिलाओं का महत्वपूर्ण पर्व

हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज, जो सुहागिन महिलाओं के लिए एक पवित्र पर्व है, इस वर्ष 26 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा। यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है और इसका उद्देश्य पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना करना है। यह व्रत माता पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किए गए कठोर तप का प्रतीक है।हरतालिका तीज का नाम 'हर' (भगवान शिव) और 'आलिका' (सहेली) से मिलकर बना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठिन तप किया था। अपनी सहेलियों की सहायता से उन्होंने यह व्रत रखा, इसलिए इसे हरतालिका तीज कहा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला रहकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
व्रत के नियम और वर्जित कार्य
इस पावन अवसर पर व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है।
निर्जला व्रत: अधिकांश महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत का संकल्प सूर्योदय से पहले स्नान के बाद लिया जाता है।
संपूर्ण रात्रि जागरण: इस दिन पूरी रात जागकर भगवान शिव-पार्वती का भजन-कीर्तन करना चाहिए।
पूजा का समय: प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद) में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है।
क्या न करें
व्रत के दौरान कुछ कार्यों से बचना चाहिए:
- ब्रह्मचर्य का पालन: मन और वचन से संयम बरतें।
- क्रोध और कलह: किसी भी प्रकार के झगड़े से बचें।
- झूठ बोलना: असत्य वचन न बोलें।
- धैर्य का त्याग: निर्जला व्रत के दौरान धैर्य बनाए रखें।
- भूल से भी अन्न-जल ग्रहण न करें: व्रत का पारण अगले दिन सुबह स्नान के बाद ही करें।
- पूजा में अपवित्रता: पूजा सामग्री और स्थल को स्वच्छ रखें।
- किसी का अपमान: किसी भी व्यक्ति का अपमान न करें।
- श्रृंगार का त्याग: व्रत के दौरान श्रृंगार की वस्तुओं का त्याग नहीं किया जाता।
विशेष उपाय
शिवलिंग पर जलाभिषेक: व्रत के दिन शिवलिंग पर कच्चे दूध, दही, घी, शहद और जल से जलाभिषेक करें।
बेलपत्र और धतूरा: भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें।
सुहाग सामग्री: माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
मंत्र जाप: "ॐ नमः शिवाय" और "ॐ गौरी शंकराय नमः" का जाप करें।