हरियाली तीज पूजा के मंत्र और विधि

हरियाली तीज पूजा का महत्व
हरियाली तीज पूजा मंत्र केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधन है जिसके माध्यम से व्रति अपने व्रत को पूर्णता प्रदान करती हैं। हरियाली तीज, जो श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, इस दिन शिव और पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है।
मंत्र जाप का महत्व
किसी भी पूजा को संपूर्ण माना जाता है जब उसमें मंत्रों का उच्चारण किया जाए। हरियाली तीज पर शिव और पार्वती के मंत्रों का जाप न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि व्रति को मानसिक शक्ति और शांति भी प्रदान करता है।
इन मंत्रों का जाप करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और वैवाहिक जीवन में सौहार्द बना रहता है।
हरियाली तीज पूजा मंत्र
इस व्रत के दौरान इस शक्तिशाली मंत्र का जाप अवश्य करें:
“देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
पुत्रान् देहि सौभाग्यं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।।
रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि।।”
यह मंत्र विशेष रूप से सौभाग्य, संतान, आरोग्य और समृद्धि की कामना के लिए पढ़ा जाता है। इसे श्रद्धा के साथ उच्चारण करने से व्रति को शिव-पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शिव-पार्वती के प्रमुख मंत्र
मां पार्वती के मंत्र
ॐ उमायै नम:
ॐ पार्वत्यै नम:
ॐ जगद्धात्र्यै नम:
ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नम:
ॐ शांतिरूपिण्यै नम:
ॐ शिवायै नम:
भगवान शिव के मंत्र
ॐ हराय नम:
ॐ महेश्वराय नम:
ॐ शम्भवे नम:
ॐ शूलपाणये नम:
ॐ पिनाकवृषे नम:
ॐ शिवाय नम:
ॐ पशुपतये नम:
ॐ महादेवाय नम:
इन मंत्रों का जाप पूजा के दौरान करने से व्रत का पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है।
हरियाली तीज की पूजा विधि
इस दिन सुहागन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान कर निर्जला व्रत आरंभ करती हैं। शाम को सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी आदि मां पार्वती को अर्पित की जाती है।
भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, इत्र और चंदन अर्पित किए जाते हैं। इसके साथ ही हरियाली तीज की कथा सुनाई जाती है। पूजा के अंत में आरती की जाती है और अंत में ऊपर दिए गए हरियाली तीज पूजा मंत्र का जाप अवश्य करें।
हरियाली तीज पूजा मंत्र का जाप इस पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन महिलाएं शिव-पार्वती की पूजा कर इन विशेष मंत्रों का जाप करती हैं, जिससे उन्हें सौभाग्य, संतान और सुखमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पूजा विधि में सुहाग सामग्री, बेलपत्र और भक्ति के साथ किया गया मंत्र जाप व्रत को पूर्णता प्रदान करता है।