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हिंदी पत्रकारिता दिवस: 'उदंत मार्तंड' का ऐतिहासिक महत्व

30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है, जो भारत के पहले हिंदी समाचार पत्र 'उदंत मार्तंड' के प्रकाशन की वर्षगांठ है। यह समाचार पत्र हिंदी पत्रकारिता की नींव रखता है और पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा हिंदी भाषियों की आवाज को उठाने का प्रयास करता है। जानें इस ऐतिहासिक पत्र के महत्व और इसके सफर के बारे में।
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हिंदी पत्रकारिता दिवस: 'उदंत मार्तंड' का ऐतिहासिक महत्व

हिंदी पत्रकारिता दिवस का महत्व

हिंदी पत्रकारिता दिवस: आज, 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन विशेष है क्योंकि इसी दिन, 30 मई 1826 को भारत का पहला हिंदी समाचार पत्र 'उदंत मार्तंड' प्रकाशित हुआ था। इस समाचार पत्र ने हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी और देश में एक नई पत्रकारिता की शुरुआत की। पहले हिंदी समाचार पत्र ने न केवल भाषा के दृष्टिकोण से, बल्कि भारतीय समाज और संस्कृति के संदर्भ में भी एक नया मोड़ दिया।


उदंत मार्तंड का प्रकाशन क्यों आवश्यक था?

भारत में उस समय हिंदी में कोई समाचार पत्र नहीं था और न ही हिंदी भाषी पाठकों के लिए कोई पत्रकारिता का माध्यम उपलब्ध था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इस कमी को पूरा करने का निर्णय लिया। जब 30 मई 1826 को कोलकाता से इस समाचार पत्र का पहला अंक प्रकाशित हुआ, तो यह हिंदी पत्रकारिता के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इस माध्यम से हिंदी भाषियों की भावनाओं और मुद्दों को उजागर करने का प्रयास किया।


कोलकाता में दफ्तर खोलने का कारण

पंडित जुगल किशोर शुक्ल का जन्म कानपुर में हुआ था, लेकिन उन्होंने कोलकाता को इस समाचार पत्र का केंद्र चुना। उस समय कोलकाता अंग्रेजों का मुख्यालय और व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र था। वहां पहले से ही अंग्रेजी, बांग्ला, फारसी और उर्दू में समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे थे। इसलिए, शुक्ल जी ने सोचा कि यहां से हिंदी भाषियों के लिए समाचार पत्र का प्रकाशन करना एक बड़ी चुनौती होगी, लेकिन यह चुनौती इसे विशेष बना सकती थी।


उदंत मार्तंड की समस्याएं

'उदंत मार्तंड' का पहला अंक 30 मई 1826 को प्रकाशित हुआ, लेकिन इसका सफर बहुत लंबा नहीं चला। कोलकाता में हिंदी पाठकों की कमी और अखबार की प्रतियों को अन्य राज्यों में भेजने के लिए होने वाले भारी खर्च के कारण यह समाचार पत्र केवल 6 महीने तक ही चल सका। 4 दिसंबर 1826 को इसका अंतिम अंक प्रकाशित हुआ, लेकिन इसने भारतीय पत्रकारिता की दिशा को बदल दिया और हिंदी मीडिया के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया।


उदंत मार्तंड का महत्व

हालांकि इस समाचार पत्र ने अपने छोटे से सफर में ही विराम लिया, लेकिन इसने हिंदी पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया। यह आज भी हिंदी पत्रकारिता के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इसके माध्यम से पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने यह साबित कर दिया कि हिंदी भी पत्रकारिता का एक मजबूत माध्यम हो सकती है। आज हिंदी के कई प्रमुख समाचार पत्र और चैनल इसी पहल के कारण अस्तित्व में आए हैं.