Newzfatafatlogo

हिंदू शास्त्रों के अनुसार शारीरिक संबंध बनाने के लिए वर्जित दिन

हिंदू शास्त्रों में वैवाहिक जीवन और शारीरिक संबंधों के लिए कई नियम निर्धारित हैं। कुछ खास दिनों में इन संबंधों को वर्जित माना गया है, जैसे एकादशी, अमावस्या, और धार्मिक त्योहारों के दौरान। यह जानकारी जानकर आप अपने वैवाहिक जीवन में संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति को बनाए रख सकते हैं। जानें और भी महत्वपूर्ण बातें इस लेख में।
 | 
हिंदू शास्त्रों के अनुसार शारीरिक संबंध बनाने के लिए वर्जित दिन

वैवाहिक जीवन में शारीरिक संबंधों का महत्व

हिंदू धर्म में वैवाहिक जीवन और शारीरिक संबंधों के लिए कई नियम और दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं। शास्त्रों के अनुसार, शारीरिक संबंध केवल वंश वृद्धि का साधन नहीं हैं, बल्कि यह एक पवित्र और आध्यात्मिक बंधन का हिस्सा भी हैं। इसलिए, कुछ विशेष अवसरों पर इन संबंधों को वर्जित माना जाता है, ताकि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन बना रहे।


कौन से दिन हैं वर्जित?

हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है और शारीरिक संबंध इस जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। मनुस्मृति के अनुसार, इन संबंधों का मुख्य उद्देश्य संतानोत्पत्ति और आपसी प्रेम को बढ़ावा देना है। लेकिन कुछ खास दिनों में इन संबंधों से बचने की सलाह दी गई है।


एकादशी, अमावस्या और पूर्णिमा पर संबंध न बनाएं

पद्म और स्कंद पुराण के अनुसार, एकादशी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन शारीरिक संबंध बनाना वर्जित है। ये दिन आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, जबकि अमावस्या और पूर्णिमा पर चंद्रमा की ऊर्जा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है। इन दिनों संयम रखने से आध्यात्मिक उन्नति होती है।


पितृपक्ष के दौरान

गरुड़ और विष्णु पुराण के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान शारीरिक संबंधों से बचना चाहिए। यह समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है। इस दौरान शारीरिक सुखों में लिप्त होना अशुभ माना जाता है।


नवरात्रि और धार्मिक त्योहारों पर

नवरात्रि, दीपावली, होली और अन्य प्रमुख धार्मिक त्योहारों के दौरान भी शारीरिक संबंधों से बचना चाहिए। देवी भागवत पुराण में नवरात्रि को माता दुर्गा की उपासना का समय बताया गया है, जिसमें संयम और शुद्धता का पालन करना आवश्यक है।


मासिक धर्म के दौरान

मनुस्मृति और आयुर्वेद के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। इस समय महिला का शरीर हार्मोनल बदलावों से गुजरता है, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


सूर्यास्त के बाद और दिन के समय

गृह्यसूत्र और कामसूत्र के अनुसार, शारीरिक संबंध रात के पहले प्रहर (शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक) में बनाना चाहिए। सूर्यास्त के तुरंत बाद और दिन के समय शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए।


गर्भावस्था और प्रसव के बाद

आयुर्वेद और मनुस्मृति के अनुसार, गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में और प्रसव के बाद कम से कम 40 दिन तक शारीरिक संबंधों से बचना चाहिए।


शोक और मृत्यु के समय

गरुड़ पुराण के अनुसार, परिवार में मृत्यु होने पर कम से कम 13 दिन तक शारीरिक संबंधों से बचना चाहिए।