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NASA ने चंद्रमा के लिए नए क्षुद्रग्रह के खतरे की पहचान की

NASA के वैज्ञानिकों ने एक नए क्षुद्रग्रह की पहचान की है, जो चंद्रमा के लिए खतरा बन सकता है। यह 2032 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से टकरा सकता है, जिससे एक बड़ा गड्ढा बन सकता है और अंतरिक्ष में मलबा फैल सकता है। हालांकि, पृथ्वी पर इसका कोई सीधा विनाशकारी प्रभाव नहीं पड़ेगा। जानें इस घटना के संभावित परिणाम और वैज्ञानिकों की राय।
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NASA ने चंद्रमा के लिए नए क्षुद्रग्रह के खतरे की पहचान की

NASA की नई खोज

वाशिंगटन: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के वैज्ञानिकों ने एक नए क्षुद्रग्रह की पहचान की है, जो पृथ्वी के लिए खतरा नहीं है, लेकिन चंद्रमा के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह विशाल क्षुद्रग्रह, जो 15 मंजिला इमारत के बराबर है, 2032 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से टकरा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह पिछले 5,000 वर्षों की सबसे बड़ी खगोलीय घटनाओं में से एक होगी, जिसका प्रभाव धरती पर मौजूद सैटेलाइट्स पर भी पड़ेगा।


NASA के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने इस विशाल अंतरिक्ष चट्टान की तस्वीरें 26 मार्च को ली थीं। इसका आकार लगभग 175 से 220 फीट के बीच है। प्रारंभ में, इसे पृथ्वी के लिए एक बड़ा खतरा माना गया था और इसे टोरीनो प्रभाव खतरा पैमाने पर उच्चतम रेटिंग दी गई थी। लेकिन फरवरी 2025 में नई गणनाओं के बाद, वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली जब यह स्पष्ट हो गया कि यह पृथ्वी से नहीं टकराएगा। हालाँकि, अब यह चंद्रमा के लिए एक बड़ा संकट बन गया है, और NASA का अनुमान है कि इसके चंद्रमा से टकराने की संभावना 4% है।


वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि यह क्षुद्रग्रह चंद्रमा से टकराता है, तो यह सतह पर आधा मील से भी बड़ा गड्ढा बना सकता है। कनाडा की वेस्टर्न ओंटारियो और एथाबास्का यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन के अनुसार, इस टक्कर के बाद भारी मात्रा में चट्टानी मलबा अंतरिक्ष में फैल जाएगा। यह मलबा पहले से मौजूद 10,000 से अधिक सक्रिय उपग्रहों और 25,000 से ज्यादा ट्रैक किए गए अंतरिक्ष मलबे के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। इन मलबों के सूक्ष्म टुकड़े भी तेज गति से सैटेलाइट से टकराकर उनके संचार, नेविगेशन और डेटा ट्रांसमिशन जैसे महत्वपूर्ण सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं।


हालांकि, इस घटना का पृथ्वी पर कोई सीधा विनाशकारी प्रभाव नहीं पड़ेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि टक्कर के बाद कुछ बारीक चंद्र-कण पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे आकाश में एक शानदार उल्का वर्षा का नजारा देखने को मिल सकता है। यह घटना देखने में आकर्षक होगी, लेकिन इससे पृथ्वी पर किसी गंभीर नुकसान की कोई आशंका नहीं है।