अंतरिक्ष में जीवन: मानव शरीर पर प्रभाव और चुनौतियाँ
अंतरिक्ष में जीवन की चुनौतियाँ
क्या आपने कभी सोचा है कि धरती से हजारों किलोमीटर ऊपर, जहां गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं होता, वहां मानव शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है? अंतरिक्ष में रहना सुनने में रोमांचक लगता है, लेकिन यह वास्तव में कई चुनौतियों से भरा होता है। विशेष रूप से जब बात शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों की आती है। अंतरिक्ष यात्रियों का वजन कम होना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं।जब कोई एस्ट्रोनॉट अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या किसी अन्य स्पेस मिशन पर लंबे समय तक रहता है, तो उसका शरीर एक नई स्थिति का सामना करता है, जिसे "माइक्रोग्रैविटी" कहा जाता है। इस स्थिति के कारण शरीर के कई सामान्य कार्य प्रभावित होते हैं।
क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में भोजन का अनुभव पूरी तरह से अलग होता है? वहां खाने की खुशबू नाक तक नहीं पहुंच पाती क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के अभाव में एयरफ्लो सामान्य नहीं रहता। इसका परिणाम यह होता है कि अंतरिक्ष यात्री अक्सर भूख महसूस नहीं करते और कम खाते हैं, जिससे उनका वजन घटता है।
अंतरिक्ष में पहुंचते ही कई एस्ट्रोनॉट्स को "स्पेस मोशन सिकनेस" का सामना करना पड़ता है, जिसमें चक्कर आना और उल्टी जैसी समस्याएं शामिल होती हैं। यह स्थिति उनकी भूख को भी प्रभावित करती है।
गुरुत्वाकर्षण की कमी का एक और गंभीर प्रभाव हड्डियों और मांसपेशियों का कमजोर होना है। धरती पर हमारा शरीर लगातार ग्रैविटी के खिलाफ काम करता है, लेकिन अंतरिक्ष में ऐसा कोई दबाव नहीं होता। इससे मांसपेशियों की ताकत कम हो जाती है और हड्डियों का घनत्व घटता है।
इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए, एस्ट्रोनॉट्स को हर दिन कम से कम दो घंटे व्यायाम करना पड़ता है। वजन उठाना, ट्रेडमिल पर दौड़ना और साइकलिंग जैसे अभ्यास उनके दैनिक रूटीन का हिस्सा बन जाते हैं।
माइक्रोग्रैविटी का प्रभाव केवल हड्डियों और मांसपेशियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आंखों, दिल और इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करता है। कुछ अंतरिक्ष यात्रियों ने मिशन के बाद दृष्टि संबंधी समस्याओं की भी शिकायत की है।
इन सभी शारीरिक चुनौतियों के बावजूद, अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत बनाए रखने के लिए उन्हें संतुलित और वैज्ञानिक रूप से तैयार की गई डाइट दी जाती है। यह भोजन प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और कैल्शियम से भरपूर होता है, ताकि मांसपेशियों की टूटफूट और हड्डियों की कमजोरी को रोका जा सके।