उत्तरकाशी में बाढ़ ने भागीरथी नदी का स्वरूप बदल दिया: ISRO की सैटेलाइट तस्वीरें

धराली में आई भीषण बाढ़ का प्रभाव
Dharali flash flood: उत्तरकाशी जिले के धराली में हाल ही में आई भीषण बाढ़ ने भागीरथी नदी के स्वरूप को पूरी तरह से बदल दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा जारी की गई सैटेलाइट तस्वीरों में यह स्पष्ट दिखाई देता है कि कैसे तेज बाढ़ ने नदी की धाराओं को चौड़ा कर दिया और तलछट जमा होने के पैटर्न में बदलाव किया। बाढ़ की तीव्र धारा ने खीर गाड़ पर बने मलबे के पंखे को काटते हुए उसकी पुरानी धारा को पुनर्स्थापित कर दिया और भागीरथी को दाहिनी ओर धकेल दिया।
ISRO के कार्टोसैट-2S सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों की तुलना से यह स्पष्ट होता है कि खीर गाड़ और भागीरथी के संगम के पास लगभग 20 हेक्टेयर में फैला मलबा जमा हो गया है। यह क्षेत्र लगभग 750 मीटर लंबा और 450 मीटर चौड़ा है। तस्वीरों में नदी की धाराओं में बड़ा बदलाव, डूबे हुए मकान और स्थलाकृति में भारी परिवर्तन स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।
Satellite Insights Aiding Rescue & Relief Ops
— ISRO (@isro) August 7, 2025
ISRO/NRSC used Cartosat-2S data to assess the devastating Aug 5 flash flood in Dharali & Harsil, Uttarakhand.
High-res imagery reveals submerged buildings, debris spread (~20ha), & altered river paths, vital for rescue teams on… pic.twitter.com/ZK0u50NnYF
पुराने मलबे के पंखे पर बसा बसाेबस
वरिष्ठ भूवैज्ञानिक और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पूर्व कार्यकारी निदेशक पियूष रौतेला ने बताया कि आपदा से पहले खीर गाड़ की बाईं ओर, भागीरथी के संगम से ठीक पहले, त्रिकोण आकार का मलबा पंखा मौजूद था। उन्होंने कहा कि यह जमा पिछले किसी बड़े भूस्खलन या ढलान के खिसकने से बना था, जिसने खीर गाड़ की धारा को मोड़ दिया था। पारंपरिक रूप से ऐसे स्थानों का उपयोग केवल खेती के लिए किया जाता था और घर ऊंची, स्थिर जमीन पर बनाए जाते थे ताकि भूस्खलन और बाढ़ का खतरा ना रहे।
उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में तेजी से बढ़े पर्यटन, तीर्थ यात्रियों की आवाजाही और सड़क के पास व्यावसायिक गतिविधियों के चलते इस पंखे पर भी बस्तियां बस गईं। बाढ़ ने पूरे पंखे को काट डाला और खीर गाड़ ने अपनी पुरानी धारा फिर से अपना ली। फिलहाल मलबे ने भागीरथी की धारा को दाहिनी ओर मोड़ दिया है, लेकिन समय के साथ यह भी कटकर खत्म हो जाएगा।
दूरगामी असर की चेतावनी
जलविदों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के अचानक भू-आकृतिक बदलावों का असर नदी के कई किलोमीटर नीचे तक दिखाई दे सकता है। बदली हुई धारा से पानी की रफ्तार बढ़ सकती है, तलछट के बहाव का पैटर्न बदल सकता है और किनारों की स्थिरता पर असर पड़ सकता है। लंबे समय में यह नए कटाव बिंदु पैदा कर सकता है, पुलों को खतरा पहुंचा सकता है और बाढ़ के मैदान बदल सकता है, जिससे किनारे बसे समुदायों को नई जल-भूगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप ढलना पड़ेगा।