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किसानों को जागरूक करने के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान

कृषि विज्ञान केंद्र पांडू पिंडारा ने विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत किसानों को जागरूक करने के लिए शिविर आयोजित किया। इस दौरान विशेषज्ञों ने कीट प्रबंधन, प्राकृतिक खेती और पशुपालन के महत्व पर चर्चा की। किसानों को सलाह दी गई कि वे अपने खेतों में समय-समय पर कीटों का निरीक्षण करें और अपनी मिट्टी और पानी को सुरक्षित रखें। जानें इस अभियान के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
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किसानों को जागरूक करने के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान

किसानों के लिए जागरूकता शिविर


(Jind News) जींद। विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत बुधवार को कृषि विज्ञान केंद्र पांडू पिंडारा और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के विशेषज्ञों ने गांव कहसून में किसानों से संवाद किया। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. रामकरण गौड ने बताया कि कपास और धान में कीट प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है।


उन्होंने किसानों से अनुरोध किया कि वे अपने खेतों में समय-समय पर कीटों का निरीक्षण करें ताकि उचित समय पर उनका प्रबंधन किया जा सके। पशुपालन विभाग के डॉ. पुनीत सिंह ने पशुओं में होने वाली मुंहखुर, गलघोटू और ब्रूसीलॉसेस बीमारियों के प्रबंधन पर जोर दिया।


डॉ. पवन भुक्कल ने किसानों को सलाह दी कि वे अपनी मिट्टी और पानी को प्रदूषित होने से बचाएं ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ मिट्टी और पानी विरासत में मिल सके। डॉ. प्रीति मलिक ने प्राकृतिक खेती अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी स्वस्थ रह सके।


धान की किस्मों और खरपतवार प्रबंधन पर जानकारी

विशेषज्ञों ने रोज खेड़ा और कालता गांव में भी किसानों से चर्चा की। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. धीरज पंघाल ने मृदा की जांच और रखरखाव की जानकारी दी, जबकि इंजी. रवि ने मशीनों के कुशल रखरखाव और प्रबंधन के बारे में बताया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिक डॉ. संदीप सिहाग ने धान की विभिन्न किस्मों और उनमें आने वाले खरपतवारों के प्रबंधन की जानकारी दी।


राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिक डॉ. मगन सिंह और डॉ. पी. बरनवाल ने पशुओं की देखभाल और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के उपाय बताए। डॉ. विजय ने पशुपालन की विधियों, पशु रोगों और उनके उपचार की जानकारी साझा की।