क्या भारतीय टेक्टोनिक प्लेट का विभाजन भविष्य में भूगर्भीय बदलाव लाएगा?

भारतीय प्लेट का विभाजन: एक नई चिंता
भारतीय प्लेट का विभाजन: हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने भारत में चिंता की लहर दौड़ा दी है। अध्ययन के अनुसार, भारतीय टेक्टोनिक प्लेट दो हिस्सों में बंटती नजर आ रही है, जिसमें से एक हिस्सा धरती के आंतरिक कोर की ओर धंस रहा है। सरल शब्दों में कहें तो, यदि यह प्रक्रिया जारी रही, तो भविष्य में धरती के नक्शे में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भारतीय प्लेट इसी गति से खिसकती या टूटती रही, तो इसका प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि एशिया के कई अन्य देशों पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा। वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को चिंता का विषय बताया है और इसके संभावित परिणामों पर ध्यान देने की आवश्यकता जताई है।
अध्ययन में क्या जानकारी दी गई?
वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारी धरती कुल 7 टेक्टोनिक प्लेटों पर आधारित है। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो घर्षण उत्पन्न होता है, जिससे भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि भारतीय प्लेट टूटती है, तो उसका एक हिस्सा कोर में समा सकता है। अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया है कि पिछले 60 मिलियन वर्षों से भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है।
क्या धरती सच में धंस रही है?
यूरोप और एशिया की सीमा पर स्थित प्लेट को यूरेशियन प्लेट कहा जाता है। भारतीय प्लेट के टकराने के कारण डिलैमिनेशन (Delamination) की प्रक्रिया चल रही है। इस प्रक्रिया में प्लेट का घना हिस्सा धरती की गहराई में धंसता जा रहा है। यही कारण है कि इंडियन प्लेट में दरारें विकसित हो रही हैं।
इसका प्रभाव क्या होगा?
भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि प्लेटों के खिसकने से संबंधित क्षेत्रों में भूकंप का खतरा बढ़ सकता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भूवैज्ञानिक साइमन क्लेम्परर के अनुसार, हिमालयी क्षेत्रों में टेक्टोनिक प्लेटों पर अत्यधिक दबाव होता है, जिससे इन प्लेटों में दरारें पड़ सकती हैं और भूकंप की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि यह घटना अभी प्रारंभिक चरण में है और इस पर और अधिक शोध की आवश्यकता है।