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ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने ई. कोली से प्लास्टिक को दवा में बदलने की खोज की

ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसमें ई. कोली बैक्टीरिया का उपयोग करके पीईटी प्लास्टिक को पैरासिटामोल में परिवर्तित किया जा सकता है। यह खोज न केवल प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण का एक नया तरीका प्रस्तुत करती है, बल्कि दवा निर्माण में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को भी कम कर सकती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से 24 घंटे के भीतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं, और यह कमरे के तापमान पर संचालित की जा सकती है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है। जानें इस अनोखी खोज के बारे में और इसके संभावित लाभों के बारे में।
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प्लास्टिक कचरे का नया उपयोग

ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण खोज की है, जिसमें उन्होंने ई. कोली बैक्टीरिया का उपयोग करते हुए पीईटी प्लास्टिक (पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट) के अणुओं को पैरासिटामोल, जो कि एक प्रसिद्ध एसिटामिनोफेन है, में परिवर्तित करने में सफलता हासिल की है। यह खोज न केवल प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण का एक नया तरीका प्रस्तुत करती है, बल्कि यह दवा निर्माण में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को भी कम करने में सहायक हो सकती है।

पारंपरिक रूप से, पैरासिटामोल का निर्माण जीवाश्म ईंधन से प्राप्त रसायनों के माध्यम से किया जाता है। लेकिन यदि प्लास्टिक कचरे को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाए, तो यह पर्यावरण के लिए एक बड़ा लाभ साबित हो सकता है। यह पहल न केवल प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में मदद करेगी, बल्कि औषधि निर्माण की पारंपरिक विधियों से जुड़ी पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान भी कर सकती है।

हालांकि, इस तकनीक को औद्योगिक स्तर पर लागू करने और व्यावसायिक रूप से सफल बनाने में कुछ समय लगेगा, लेकिन इसके संभावित लाभ अत्यधिक हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से 24 घंटे के भीतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं, और यह एक छोटी प्रयोगशाला में भी बिना अधिक संसाधनों के किया जा सकता है। विशेष बात यह है कि यह प्रक्रिया कमरे के तापमान पर संचालित की जा सकती है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है और महंगे तापमान नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती।