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भारत का सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप फिर से जाग उठा

भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप हाल ही में फिर से सक्रिय हुआ है, जिसमें दो हल्के विस्फोट हुए हैं। यह द्वीप अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में स्थित है और वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। जानें इसके ज्वालामुखीय इतिहास, हाल के विस्फोटों का प्रभाव और इसकी निगरानी के बारे में।
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भारत का सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप फिर से जाग उठा

भारत का सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप

भारत का सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप: हाल ही में भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप फिर से सक्रिय हुआ है। 13 और 20 सितंबर को अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के इस निर्जन द्वीप पर दो हल्के विस्फोट हुए, जिसमें धुआं, लावा और राख निकली। यह द्वीप पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भारतीय नौसेना ने 20 सितंबर के विस्फोट का वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें लावा बहता हुआ दिखाई दिया। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल आसपास के क्षेत्रों में कोई खतरा नहीं है, लेकिन निगरानी जारी है।


बैरन द्वीप एक छोटा ज्वालामुखीय द्वीप है, जो पूरी तरह से ज्वालामुखी गतिविधियों से बना है। यहां कोई मानव निवास नहीं है, केवल जंगली जानवर और पक्षी रहते हैं। यह भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है, जो बंगाल की खाड़ी के नीचे टेक्टॉनिक प्लेटों के टकराव के कारण बना है। द्वीप की ऊंचाई समुद्र तल से 354 मीटर है। यह वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।


विस्फोटों का प्रकार और प्रभाव

विस्फोटों का प्रकार और प्रभाव


हाल के विस्फोट 'स्ट्रॉम्बोलियन' प्रकार के थे, जो हल्के लेकिन लगातार होते हैं। जुलाई 2025 में भी द्वीप पर गतिविधि देखी गई थी। डार्विन वोल्कैनो एंड एश एडवाइजरी सेंटर ने 30 जुलाई से 5 अगस्त तक राख के गुबार देखे थे। इन विस्फोटों का हवाई यात्रा या आसपास के द्वीपों पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ा है।


ज्वालामुखीय इतिहास

ज्वालामुखीय इतिहास


बैरन द्वीप का ज्वालामुखीय इतिहास भी काफी दिलचस्प है। इसे पहली बार 1789 में रिकॉर्ड किया गया था। 1991 में एक बड़ा विस्फोट हुआ और 2017-2018 में भी यह सक्रिय रहा। यह ज्वालामुखी 'सबडक्शन जोन' में स्थित है, जहां इंडियन प्लेट बर्मा प्लेट के नीचे धंसती है, जिससे मैग्मा ऊपर आता है और विस्फोट होते हैं। हालांकि वर्तमान विस्फोट हल्के हैं, लेकिन लंबे समय में राख समुद्री जीवन, मछलियों और कोरल रीफ्स को प्रभावित कर सकती है।


निगरानी और महत्व

निगरानी और महत्व


भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और नौसेना लगातार इस क्षेत्र की निगरानी कर रहे हैं। यदि विस्फोट तेज होते हैं, तो चेतावनी जारी की जाएगी। बैरन द्वीप भारत के लिए विशेष महत्व रखता है। यहां ज्वालामुखी कम हैं, इसलिए वैज्ञानिक पृथ्वी की आंतरिक गतिविधियों को समझने के लिए इसे अध्ययन करते हैं। द्वीप का नाम 'बैरन' अंग्रेजी में बंजर या निर्जन से लिया गया है। ये विस्फोट पृथ्वी की जीवंत शक्ति का प्रतीक हैं और यह याद दिलाते हैं कि प्रकृति हमेशा सक्रिय रहती है।