सिलिकॉन के बिना पहला CMOS कंप्यूटर: एक नई तकनीकी क्रांति

सिलिकॉन के बिना कंप्यूटर का निर्माण
वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए पहला CMOS कंप्यूटर बनाया है, जो बिना सिलिकॉन के कार्य करता है। यह खोज भविष्य में सिलिकॉन के स्थान पर नए विकल्पों की संभावनाओं को उजागर करती है, जो पिछले 50 वर्षों से तकनीकी विकास का आधार रहा है।
2D सामग्री से बनी नई तकनीक
पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के नैनोफैब्रिकेशन यूनिट में शोधकर्ताओं ने दुनिया का पहला CMOS कंप्यूटर विकसित किया है, जो दो-आयामी (2D) सामग्री से निर्मित है। यह सामग्री कागज की तरह पतली और नैनो-स्तर की है। इस खोज की जानकारी नेचर पत्रिका में प्रकाशित की गई है। CMOS तकनीक कम ऊर्जा खपत और अधिक घटकों को समायोजित करने के लिए जानी जाती है।
सिलिकॉन का भविष्य
पेन स्टेट के इंजीनियरिंग साइंस और मैकेनिक्स के प्रोफेसर सप्तर्षि दास ने कहा, "हम अल्पकालिक में सिलिकॉन को इन 2D सामग्रियों के साथ जोड़ने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि ये नई कार्यक्षमताएं प्रदान करते हैं। यह शोध एक मील का पत्थर है, जो दर्शाता है कि एक दिन सिलिकॉन को पूरी तरह से बदला जा सकता है।" उन्होंने बताया कि सिलिकॉन ने 1947 से ट्रांजिस्टर के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक्स को छोटा करने में मदद की है, लेकिन अब यह अपनी सीमाओं पर पहुंच चुका है।
2D सामग्री की विशेषताएं
शोध के प्रमुख लेखक और पेन स्टेट के डॉक्टरेट छात्र सुभिर घोष ने बताया, "हमने मोलिब्डेनम डाइसल्फाइड (MoS2) और टंगस्टन डाइसेलेनाइड (WSe2) का उपयोग किया है, जो 2D सामग्री के क्षेत्र में सामान्य हैं।" उन्होंने कहा कि पेन स्टेट में हम दो इंच के वेफर पर इस सामग्री को विकसित कर सकते हैं, और यह उद्योग के लिए स्केलेबल है। यह कंप्यूटर 25 किलोहर्ट्ज की आवृत्ति और 3 वोल्ट से कम पर कार्य करता है, जिसमें उच्च ड्राइव करंट और कम रिसाव होता है।
भारत की भूमिका और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 2D सामग्री पर शोध के लिए फंडिंग की योजना बनाई है। बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर मयंक श्रीवास्तव ने कहा, "2D सामग्री से बना कंप्यूटर एक ऐतिहासिक कदम है। यह सेमीकंडक्टर तकनीक के विकास में एक महत्वपूर्ण क्षण है।" उन्होंने बताया कि 2D सामग्री अणु-स्तर की मोटाई, उच्च गतिशीलता और उत्कृष्ट इलेक्ट्रोस्टैटिक नियंत्रण के साथ मूर के नियम को बनाए रखने की क्षमता रखती है।
भविष्य की चुनौतियां
श्रीवास्तव ने बताया कि 25 किलोहर्ट्ज की गति सिलिकॉन की तुलना में कम है, और चैनल गतिशीलता, गेट ऑक्साइड, और विश्वसनीयता जैसी चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं। फिर भी, यह खोज भविष्य की तकनीक के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है।