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अगस्त से दिसंबर तक अमावस्या की तिथियों का महत्व

इस लेख में हम अगस्त से दिसंबर तक की अमावस्या तिथियों के महत्व और पूजा विधियों के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं। अमावस्या का दिन विशेष रूप से राहु के प्रभाव के कारण महत्वपूर्ण होता है। जानें किस दिन किस देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए और इन तिथियों का धार्मिक महत्व क्या है।
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अगस्त से दिसंबर तक अमावस्या की तिथियों का महत्व

अमावस्या का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष 12 अमावस्या तिथियां आती हैं। प्रत्येक अमावस्या का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन इस दिन कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ज्योतिष में अमावस्या का एक खास स्थान है, क्योंकि इस दिन राहु का प्रभाव अधिक होता है। इसलिए, भगवान शिव और शनिदेव की पूजा करना लाभकारी माना जाता है, क्योंकि शनिदेव का भी राहु पर प्रभाव होता है। इस लेख में, हम अगस्त से दिसंबर तक की अमावस्या की तिथियों की जानकारी साझा करेंगे।


जुलाई से अगस्त तक अमावस्या की तिथियां

ज्येष्ठ का महीना भगवान हनुमान जी को समर्पित है। अमावस्या के दिन हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन उन्होंने राहु से युद्ध के दौरान विश्राम किया था। फिर भी, यह महीना हनुमान जी से जुड़ा है, इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जा सकती है। आषाढ़ माह में देवी-देवताओं की पूजा करना शुभ माना जाता है, जबकि श्रावण माह भगवान शिव को समर्पित है। भाद्रपद माह में भगवान कृष्ण की पूजा करना भी शुभ होता है।


श्रावण अमावस्या - 24 जुलाई 2025


भाद्रपद अमावस्या - 23 अगस्त 2025


सितंबर से दिसंबर तक अमावस्या की तिथियां

अश्विन माह भगवान श्रीहरि विष्णु और सूर्यदेव को समर्पित है। इस महीने की अमावस्या पर इनकी पूजा करना शुभ माना जाता है। कार्तिक माह की अमावस्या पर दीपावली का पर्व मनाया जाता है, जिसमें मां लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है।


मार्गशीर्ष माह की अमावस्या पर शनि भगवान की पूजा करना फलदायी माना जाता है। पौष माह की अमावस्या पर पितरों के निमित्त पूजा करना भी शुभ होता है।


आश्विन अमावस्या - 21 सितंबर 2025


कार्तिक अमावस्या - 21 अक्टूबर 2025


मार्गशीर्ष अमावस्या - 20 नवंबर 2025


पौष अमावस्या - 19 दिसंबर 2025