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आशूरा की नमाज और दुआ: सही तरीका और महत्व

आशूरा का दिन, जो मुहर्रम के दसवें दिन मनाया जाता है, मुसलमानों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन हजरत हुसैन (र.अ.) की शहादत को याद किया जाता है। इस लेख में, हम आशूरा की नमाज और दुआ का सही तरीका समझाते हैं, जो आपकी इबादत को सरल और प्रभावी बनाएगा। जानें कि कैसे इस दिन की नमाज अदा की जाती है और दुआ का महत्व क्या है। साथ ही, इस दिन की फजीलत और इबादत के सही तरीके भी जानें।
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आशूरा की नमाज और दुआ: सही तरीका और महत्व

आशूरा की नमाज और दुआ का महत्व

आशूरा की नमाज का तरीका और दुआ: मुहर्रम का दसवां दिन, जिसे यौम-ए-आशूरा कहा जाता है, हर मुसलमान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन कर्बला के शहीदों, विशेषकर हजरत हुसैन (र.अ.) की याद में मातम, मजलिस और इबादत का दिन है। आशूरा की रात और दिन में पढ़ी जाने वाली नमाज और दुआएं दिल को सुकून देती हैं और अल्लाह की रहमत को आकर्षित करती हैं। क्या आप जानते हैं कि आशूरा की नमाज का सही तरीका क्या है? अगर नहीं, तो हम आपके लिए लाए हैं 10 मुहर्रम की नमाज और दुआ का पूरा तरीका, जो आपकी इबादत को सरल बनाएगा। आइए, इस पवित्र दिन की फजीलत को समझें और इबादत के सही तरीके जानें।


आशूरा की नमाज का तरीका


आशूरा की नमाज एक नफ्ल इबादत है, जिसे अल्लाह की कृपा और बरकत प्राप्त करने के लिए अदा किया जाता है। यह नमाज 2, 4, 6, 8 या 12 रकात में पढ़ी जा सकती है। हर 2 रकात के बाद सलाम फेरना आवश्यक है। इस नमाज में सूरह फातिहा के बाद तीन बार सूरह इखलास (कुल्हुवल्लाहु अहद) पढ़ी जाती है। यह नमाज गुनाहों की माफी, रहमत, और अल्लाह की निकटता के लिए अदा की जाती है। 10 मुहर्रम को सूरज निकलने के बाद से असर की नमाज से पहले तक इसे पढ़ा जा सकता है। इस नमाज का समय और तरीका सरल है, बस नियत और दिल की सच्चाई चाहिए।


नमाज की नियत और तरीका


आशूरा की नमाज शुरू करने से पहले नियत करना आवश्यक है। 2 रकात की नियत इस प्रकार करें: "नियत की मैंने 2 रकात नमाज आशूरा की नफ्ल, वास्ते अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।" 4 रकात के लिए भी यही नियत करें, बस रकात की संख्या बदलें। पहली रकात में सना, अउजुबिल्लाह, बिस्मिल्लाह, सूरह फातिहा, और तीन बार सूरह इखलास पढ़ें। फिर रुकू, सज्दा, और दूसरी रकात का क्रम वही रखें। दूसरी रकात के बाद तशह्हुद, दुरूदे इब्राहीम, और दुआए मसूरा पढ़कर सलाम फेरें। हर दो रकात के बाद 70 बार तस्बीह पढ़ें: "सुब्हानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर।"


9 मुहर्रम की रात की विशेष नमाज


9 मुहर्रम की रात, जिसे शब-ए-आशूरा कहा जाता है, भी इबादत के लिए विशेष है। इस रात 4 रकात नमाज एक सलाम के साथ पढ़ें। हर रकात में सूरह फातिहा के बाद एक बार आयतुल कुर्सी और तीन बार सूरह इखलास पढ़ें। नमाज के बाद 100 बार सूरह इखलास पढ़ना फजीलत भरा है। यह नमाज मगरिब के बाद से ईशा तक या ईशा के बाद पढ़ी जा सकती है। इस रात की इबादत आपके दिल को सुकून देगी और कर्बला के शहीदों की याद को ताजा करेगी। इस नमाज को अदा करने से पहले दिल से नियत करें और अल्लाह की बारगाह में अपनी दुआएं पेश करें।


आशूरा की दुआ


आशूरा की दुआ यौम-ए-आशूरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दुआ हजरत हुसैन और कर्बला के शहीदों की याद में पढ़ी जाती है। दुआ का एक हिस्सा है: "या क़ाबिल तौबति आदम यौम आशूरा, या फारिजा करबी जिन्नूनी यौम आशूरा..." यह दुआ अल्लाह की रहमत, गुनाहों की माफी, और दुनियावी-आखिरती हाजतों के लिए पढ़ी जाती है। दुआ पढ़ते समय दिल से कर्बला के शहीदों को याद करें और अल्लाह से सलामती मांगें। इस दुआ को 10 मुहर्रम के दिन या 9 मुहर्रम की रात में पढ़ा जा सकता है। इसे पढ़ने से पहले वुजू करें और शांत जगह पर बैठें।


इस दिन की फजीलत


आशूरा का दिन केवल इबादत का ही नहीं, बल्कि गम और मातम का भी दिन है। इस दिन मुसलमान कर्बला की शहादत को याद करते हैं। नमाज और दुआ के साथ-साथ मातम और मजलिस में शामिल हों। खान-पान का ध्यान रखें और सूर्योदय-सूर्यास्त के समय नमाज से बचें। इस दिन की इबादत में सच्चाई और खुलूस जरूरी है। शनि चालीसा का पाठ करें, जैसा कि सुझाया गया है, ताकि आपकी दुआएं और इबादत कबूल हों। इस दिन का सदका करें, जैसे कि मिठाई या खाना दान करना, जो आपकी इबादत को और फजीलत देगा।


आशूरा की नमाज 2025 और 10 मुहर्रम की दुआ इस्लामी कैलेंडर के पवित्र दिन यौम-ए-आशूरा का अहम हिस्सा हैं। यह दिन कर्बला की शहादत और हजरत हुसैन (र.अ.) की याद में मनाया जाता है। नफ्ल नमाज 2 से 12 रकात तक पढ़ी जा सकती है, जिसमें सूरह इखलास और तस्बीह शामिल हैं। 9 मुहर्रम की रात की विशेष नमाज और आशूरा की दुआ अल्लाह की रहमत के लिए पढ़ी जाती है। इस दिन मातम, मजलिस, और सदका करें।