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कर्ज से मुक्ति के लिए प्रभावी उपाय: ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का महत्व

इस लेख में हम कर्ज से मुक्ति के लिए प्रभावी उपायों पर चर्चा करेंगे, जिसमें ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ शामिल है। ज्योतिष के अनुसार, मंगल ग्रह कर्ज का कारक है और मंगलवार को कर्ज लेना निषिद्ध माना जाता है। जानें कर्ज बढ़ने के कारण और इससे बचने के उपाय। यह जानकारी आपको कर्ज से मुक्ति पाने में मदद कर सकती है।
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कर्ज से मुक्ति के लिए प्रभावी उपाय: ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का महत्व

मंगलवार को कर्ज लेना निषिद्ध


Karj Mukti Upay, नई दिल्ली: ज्योतिष के अनुसार, मंगल ग्रह को कर्ज का कारक माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि मंगलवार को कर्ज लेना वर्जित है। इस दिन कर्ज चुकाने का प्रयास करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति मंगलवार को कर्ज लेता है, तो वह जीवनभर कर्ज चुकाने में असमर्थ रहता है, और उसकी संतान भी इससे प्रभावित होती है। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि बुधवार को कर्ज देना भी अशुभ है, क्योंकि इस दिन दिया गया कर्ज वापस पाने में कठिनाई होती है।


कर्ज बढ़ने के कारण

जन्मकुंडली के छठे भाव से कर्ज, रोग आदि का विचार किया जाता है। कभी-कभी दुर्घटनाएं या बीमारियां व्यक्ति को ऋणी बना देती हैं। इसके अलावा, जन्मकुंडली में मौजूद कुछ दोष और निवास स्थान का वास्तु भी कर्ज के लिए जिम्मेदार हो सकता है।


यदि जन्मपत्री में पितृदोष है, तो जातक अपने पिता के धन से जीवन का एक हिस्सा व्यतीत करता है या कर्ज लेकर जीवन यापन करता है। सूर्य लग्न में शनि के साथ होने पर जातक मुकदमेबाजी में उलझा रहता है और कर्ज लेकर जीवन यापन करता है। 12वें भाव का सूर्य व्यक्ति के व्यय को बढ़ाता है, जिससे वह ऋणी बना रहता है।


कर्ज के कारण


  • यदि कुंडली में मंगल कमजोर है, तो ऋण लेने की संभावना बढ़ जाती है।

  • अगर मंगल, शनि, सूर्य या बुध जैसे पापग्रहों के साथ है, तो व्यक्ति को जीवन में एक बार कर्ज लेना पड़ता है।

  • यदि 12वां भाव प्रबल है और दूसरा तथा दशम कमजोर है, तो जातक उच्च व्यय वाला होता है और निरंतर कर्ज लेता है।

  • आवास में वास्तु दोष होने पर, जैसे पूर्वोत्तर दिशा में अधिक निर्माण, व्यक्ति के व्यय बढ़ते हैं और कर्ज लेना आवश्यक हो जाता है。


उपाय

ऋण, रोग, भय और शत्रुओं से मुक्ति के लिए मंगलवार से ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करना आवश्यक है। ताम्बा धातु से बना एक तिकोना मंगल यंत्र मंगलवार को बनवाकर घर या कार्यालय में स्थापित करें। इसके अलावा, ऋणी व्यक्ति की महादशा और अंतर्दशा के अनुसार रत्न आदि उपचार भी आवश्यक हैं।


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