कुरुक्षेत्र में गीता महोत्सव: विश्वभर में गीता का संदेश फैलाने की तैयारी
कुरुक्षेत्र में गीता का अमर संदेश
कुरुक्षेत्र, जिसे धर्मनगरी कहा जाता है, वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का महत्वपूर्ण संदेश मानवता के लिए प्रस्तुत किया था। यह संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है। गीता में जीवन का सार छिपा है, और इसे समझने के लिए पूरी दुनिया उत्सुक है। यही वजह है कि गीता के अनुवाद की संख्या अब 100 से अधिक भाषाओं में हो चुकी है।
Gita Mahotsav: पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन
धर्मनगरी में आने वाले पर्यटक गीता के संदेश को नमन करने के लिए उत्सुक रहते हैं और विभिन्न भाषाओं में अनुवादित गीता की पुस्तकें अपने साथ ले जाते हैं। पवित्र ब्रह्मसरोवर तट पर हर साल आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव अब गीता संदेश का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है।
महोत्सव में भाषाओं की विविधता
इस वर्ष 15 नवंबर से शुरू होने वाले महोत्सव में 60 देशों की विभिन्न भाषाओं में अनुवादित गीता ग्रंथों और संबंधित पुस्तकों की प्रदर्शनी होगी। केंद्रीय विदेश मंत्रालय की इस पहल से गीता का प्रकाश और भी दूर तक फैलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को इस 21 दिवसीय महोत्सव में शामिल होंगे।
गीता के अनुवाद की उपलब्धता
गीता अब जर्मन, स्पेनिश, रूसी, चीनी, जापानी, अरबी, पुर्तगाली, अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, उड़िया, मलियालम, बंगाली, कन्नड़, तमिल, तेलगू, असमिया, सिंधी, मणिपुरी, गुजराती, और मराठी जैसी भाषाओं में उपलब्ध है। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्य अशोक रोशा के अनुसार, अंग्रेजी में ही 300 से अधिक अनुवाद उपलब्ध हैं।
गीता क्विज का आयोजन
इस महोत्सव को और भी रोचक बनाने के लिए केडीबी और राष्ट्रीय सूचना विकास केंद्र ने ऑनलाइन गीता क्विज की शुरुआत की है। इसमें 14 नवंबर तक प्रतिदिन पांच सवाल पूछे जाएंगे और विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। प्रतिभागियों को रजिस्ट्रेशन के लिए एक वेबसाइट पर जाना होगा।
मुख्य कार्यक्रमों की शुरुआत
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम 24 नवंबर से शुरू होंगे और ये आठ दिन तक चलेंगे। अंतिम दिन, गीता जयंती के अवसर पर 18,000 स्कूली बच्चे गीता श्लोक का पाठ करेंगे। इसके अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन, संत सम्मेलन और देव स्थानम सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे।
विदेशी ब्राह्मणों की भागीदारी
इस बार महोत्सव में पहली बार विदेशी गीता विशेषज्ञ और ब्राह्मण भी शामिल होंगे। त्रिनिदाद और टोबैगो से 20 विशेष ब्राह्मणों का दल यहां आएगा, जो संत सम्मेलन और देव स्थानम सम्मेलन में भाग लेंगे।
