क्या विष्णु पुराण की भविष्यवाणी सच होगी? जानें पृथ्वी के अंत की कहानी

गर्मी और लू का कहर
गर्मी और लू के प्रकोप ने इंसान और जानवरों के जीवन को कठिन बना दिया है। बढ़ती गर्मी के चलते कई स्थानों पर जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं, और जलाशयों के सूखने की भी खबरें आ रही हैं। कभी-कभी गर्मी इतनी तीव्र हो जाती है कि लोग ठंड के कारण बीमार पड़ जाते हैं, और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनकी जान भी चली जाती है। हर साल गर्मी का यह भयानक रूप और भी विकराल होता जा रहा है। विष्णु पुराण के तीसरे अध्याय में कहा गया है कि पृथ्वी का अंत सूर्य की प्रचंड गर्मी के कारण होगा। इस संदर्भ में यह सवाल उठता है कि क्या विष्णु पुराण की भविष्यवाणी सच होने वाली है, क्या प्रलय निकट है?
पृथ्वी का अंत कब होगा?
ऋषि पराशर ने अपने शिष्य श्री मैत्रेय को बताया कि पृथ्वी पर 30 दिन और रात का एक महीना होता है, और 12 महीनों का एक वर्ष। वहीं, देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के बराबर होता है। 12 हजार दिव्य वर्षों का एक चतुर्युग होता है, और 1 हजार चतुर्युग ब्रह्मा का एक दिन होता है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि 1 हजार चतुर्युग के बाद पृथ्वी का अंत शुरू होगा। तब लोग कमजोर हो जाएंगे और लगभग 100 वर्षों तक सूखा रहेगा। ऐसे में कमजोर लोग सूखे से पीड़ित होकर अपने अंत की ओर बढ़ेंगे।
सूर्य की किरणों का प्रभाव
इसके बाद भगवान विष्णु पूरे संसार को अपने में समाहित करने के लिए सूर्य की सात किरणों में स्थित होंगे। ये किरणें पृथ्वी के सारे जल को सोख लेंगी, जिससे न केवल पृथ्वी बल्कि विभिन्न पाताल भी सूखे के प्रभाव से ग्रस्त होंगे। भगवान विष्णु के प्रभाव से सूर्य की सात किरणें सात सूर्य बन जाएंगी, और वे अपने प्रकाश से तीनों लोकों को भस्म कर देंगी। तब यह पृथ्वी कछुए की पीठ की तरह कठोर हो जाएगी।
ब्रह्मांड की आयु का अंत
भगवान विष्णु खतरनाक तरीके से बिजली गिराएंगे और आसमान में बड़े-बड़े घने बादल उठेंगे। ये बादल धरती पर इतनी घनी बारिश करेंगे कि धरती को जलाने वाली लपटें शांत हो जाएंगी। ये बादल तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक कि पूरी दुनिया को पानी में न डुबो दें। ये बारिश 100 साल से भी ज्यादा समय तक चलेगी, और इस तरह ब्रह्मांड की आयु समाप्त हो जाएगी।
सृष्टि का पुनर्निर्माण
विष्णु पुराण के चौथे अध्याय में ऋषि पराशर बताते हैं कि जब संसार में इतना जल हो जाएगा कि सप्तर्षियों का स्थान भी डूबने लगेगा, तब भगवान विष्णु के मुख से निकली वायु उन बादलों को नष्ट कर देगी। इसके बाद भगवान विष्णु जागते हैं और ब्रह्मा का रूप धारण करते हैं, फिर सृष्टि की रचना करते हैं।